Bihar news ना बाइबल से ना पुराण से और ना ही कुरान से देश चलेगा तो सिर्फ बाबा साहब के संविधान से – विजय कश्यप

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
पश्चिम चम्पारण के बेतिया जिला परिषद सभागार में पंचशील बुद्ध बिहार के बैनर तले बाबा साहब के जयंती पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जहाँ बाबा साहब के फोटो पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पण करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित अतिथियों के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक रामदास बैठा ने किया और कहा कि बोधिसत्व, भारत रत्न, संविधान शिल्पी एवं ज्ञान के भंडार बाबा साहब ने देश को 22 प्रतिज्ञाएं देकर भारत का भाग्योदय का मार्ग प्रशस्त किया। छूआछूत और ऊंच नीच का दंश झेलकर देश की सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में अपना अमूल्य योगदान दिया। घोर अभाव में जीकर भी समाज में प्रभाव स्थापित करने वाले महामानव और प्रखर व्यक्तित्व के धनी रहें।
राजधानी पटना से आए मोहम्मद दानिश ने बाबा साहब का सचित्र विवरण को अपने शब्दों से प्रकाशित किया। उनके किए गए कार्यों और दिए गए बहुमूल्य संविधान के लिए देश युगों युगों तक उनको याद किए रहेगी। उन्होंने देश के करोड़ों वंचितों व शोषितों का मार्ग प्रशस्त किया। प्रगतिशील चेतना के वाहक, समता के पक्षधर बने रहें। सबको समानता और सबको आगे बढ़ाने के लिए सदा कृत संकल्पित रहें। ज्ञान के भंडार कहें जाने वाले बाबा साहब 16 16 घंटा पुस्तकों को पढ़ने में लगे रहते। ऐसे असाधारण व्यक्तित्त्व का यह देश सदा ऋणी रहेगा और उनके संवैधानिक मूल्यों के लिए कृतसंकल्पित भी रहेगा।
प्रबुद्ध भारती के राष्ट्रीय संयोजक विजय कश्यप ने बाबा साहब को युवा प्रर्वतक एवं राष्ट्र निर्माता के रुप में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने भारत को समता, स्वतंत्रता, न्याय एवं बंधुत्व के सुत में पिरोने वाले राष्ट्र पुरूष के रूप में भावी पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत किया। ओबीसी को अनुच्छेद 340 से राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में भागीदारी का अवसर दिया तो हिन्दू कोड बिल बनाकर भारत की आधी आबादी को भारत के विकास में रीढ़ की हड्डी के रूप में स्थापित किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में नंदकिशोर चौधरी, उषा बौद्ध, आशा चौधरी, डॉ नीलम भारती, गीता कश्यप, नंदलाल, जयप्रकाश बौद्ध, दीपक राम, सुरेन्द्र राम, हरि कुमार, राकेश फुले, डॉ प्रेम कुमार, राजकुमार ठाकुर, रामकिशोर बैठा, श्याम राम आदि उपस्थित रहें और अपने अपने बाबा साहब के योगदानों के प्रति विचारों को गोष्ठी के माध्यम से प्रकट किया।