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Bihar news : शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर उन्हें याद कर रहा है भारत

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य सचिव मण्डल सदस्य प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि शहीद ए आजम भगत सिंह का जन्म आज ही के दिन 28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान के लायलपुर जिले के बंगा ग्राम में हुआ था । लेकिन उनका पैतृक गांव खटकड़ कलां है ।

Bihar news : शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर उन्हें याद कर रहा है भारत

जो हिंदुस्तान में हैभगत सिंह अपने बाल अवस्था में ही अपने परिवार के साथ 1919 जालियांवाला बाग हत्या कांड को देखने अमृतसर गए थे । जहां की घटनाओं की निर्मम एवं बर्बर घटनाओं को देख उनके विचार क्रांति की ओर बढ़ गया ।
फिर 17 दिसंबर 1926 को लाला लाजपत राय की हत्या के बाद उन्होंने बदला लेने का ठान लिया , तो जेपी सांडर्स को गोली मारकर अपना शपथ पूरा किया । लाला लाजपत राय गदर पार्टी के बड़े नेता थे । उनका
भगत सिंह के परिवार में आना जाना था । भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह उन्हीं के पार्टी के नेता थे। इस तरह भगत सिंह का गहरा लगाव लाला लाजपत राय के साथ था । जब साइमन कमीशन भारत आया और पंजाब दौरे पर लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन वापस जाओ का नारा देते हुए विरोध किया। उनके काफिले पर लाठियां बरसाई गई ।जिसमें लाला लाजपत राय के सर पर गहरी चोट लगी और अस्पताल में कुछ दिनों के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी ।
भगत सिंह अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने तथा आजादी के बाद देश में समाजवादी व्यवस्था की हुकूमत बनने के मकसद से चंद्रशेखर आजाद ,राजगुरु, सुखदेव , शिव वर्मा जैसे लोगों से संपर्क कर और नीतियों पर समर्थन प्राप्त कर एक राष्ट्रीय पार्टी का गठन किया जिसका नाम हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक सेना रखा गया । जिसके अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद चुने गए । देशभर में घूम कर नौजवानों के अंदर उत्साह भरने का काम किया । उन्होंने ने सोवियत क्रांति से प्रभावित होकर आजादी के बाद भारत में एक समाजवादी व्यवस्था की हुकूमत बनाने के संकल्प के साथ अपनी पार्टी से देश के नौजवानों को जोड़ने का प्रयास किया । उन्होंने दिल्ली असेंबली में बम फेंकने का निर्णय लिया । पार्टी की केन्द्रीय कमिटी की बैठक में चंद्रशेखर आजाद के नहीं चाहने के बावजूद भी सर्वसम्मति से निर्णय कराया ।

Bihar news : शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर उन्हें याद कर रहा है भारत
19 अप्रैल 1929 को ब्रिटिश संसद में बम फेंक कर ट्रेड डिस्प्यूट कानून का विरोध किया । उन्होंने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ इंकलाब जिंदाबाद , साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और समाजवाद जिंदाबाद के नारे लगाए ।
गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह अपने मुकदमे का बहस स्वयं करने का निर्णय लिया । अंत में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को गोरी चमड़ी वाली हुकूमत ने फांसी दे दी । वह दिन पूरे हिंदुस्तान के लिए शोक का और आक्रोश का दिन था । वैसे बीर शहीद ए आजम को क्रांतिकारी सलाम ।

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