Bihar news : डिजिटल एक नम्बरी लाॅटरी से आम खास से पदाधिकारी तक हो रहे हैं मालामाल

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
बिहार के सुशासन बाबू की कैबिनेट की भूमि चम्पारण हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका में रहा है तो फिर डिजिटल एक नंबरी लाॅटरी में भला पीछे क्यों रहे ? शायद इसलिए यह चम्पारण जो वर्तमान में कैबिनेट की भूमि होने की अलंकार से अलंकृत हो गया है विभिन्न अवैध धंधों का हब बनता जा रहा है। जिला मुख्यालय में शायद ही कोई चौक चौराहे बाकी हो जहां डिजिटल लॉटरी की दुकानें ना सजती हो। सड़क से लेकर दुकानों तक आसानी से इस खेल का अड्डा बनाए हुए कारोबारी हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और तर्ज पर खेल को प्रतिदिन अहले सुबह से देर शाम तक खिलाते हैं।
ठंड और खरमास का असर भले ही अन्य व्यवसायों पर दिखता है परन्तु डिजिटल लाॅटरी पर इसका असर नहीं दिखता यह अंदाजा सुबह से ही कारोबियों के खेलने व लोगों के खेलने से ही लगाया जा सकता है। आर्थिक मंदी का शिकार भले ही बाजार व अर्थव्यवस्था हो। आर्थिक की मार भले ही घर घर पर पड़ी हो पर डिजिटल लाॅटरी की खेल का पूर्ण आर्थिक लक्ष्य कभी भी रूकता व कम नहीं होता है। तभी तो प्रशासन की विशेष नजर के बावजूद रहम बनी रहती है।
प्रशासनिक रहम से एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है अंधों के शहर में आइना दिखाने को मजबूर हैं पत्रकार फिर भी रूक नहीं रहा है अवैध कारोबार। सूत्रों की मानें तो विगत माह में मुफ्फसिल थाना के द्वारा हरिवाटिका चौक से डिजिटल लाॅटरी पर कार्यवाही करते हुए 7 कारोबारी व खेलने वालों को पकड़ती जरूर है पर देर रात चांदी के पंखों की हवा से मदमस्त होकर छोड़ दी जाती है सिर्फ इस आश्वासन के पश्चात कि अगले माह से उनकी आकर्षक राशि क्या होगी? हालांकि सीसीटीवी सभी थानों पर लगा कर पारदर्शिता का दावा करने वाली सरकार व आलाधिकारी क्या कभी उन सीसीटीवी कैमरों की अवलोकन करते भी हैं या फिर यह तीसरी आंख सिर्फ आम जनता के गतिविधियों को ही कैद करके अपनी खानापूर्ति करता रहेगा।
जिला मुख्यालय स्थित बेतिया नगर थाना व मुफ्फसिल थानों के अंतर्गत आने वाले सभी ओपी क्षेत्रों में भी यह डिजिटल लाॅटरी का खेल अपने परवान पर है। हरिवाटिका चौक, बस स्टैंड, नौरंगा, मीना बाजार, दरगाह मोहल्ला, द्वार देवी चौक, बुलाकी सिंह चौक, इमाम बाड़ा चौख, मिस्कार टोली चौक, इंदिरा चौक, काली बाग चौक, केशरे हिन्द की जमीन के पास इत्यादि अन्य दर्जनों जगहों पर बिना किसी पुलिस की मिलीभगत से इन खेलों का खुले आम खेला जाना कतई संभव नहीं है।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक निताशा गुड़िया के निर्देश पर तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अभियान शिव कुमार राव ने मीना बाजार में औचक छापेमारी की थी जिसमें दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था। उस बड़ी कार्यवाही के पश्चात फिर बेतिया पुलिस ने कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की। कुछ एक छोटी कार्यवाही और छोटे प्यादों पर कार्यवाही कर सिर्फ अपनी दिखावा जरूर कर ली गई ताकि धंधा करने वाले यह जान जाएं कि धंधा करना है तो पुलिस को साथ लेकर ही करना होगा। और शायद इसलिए साल के हर दिन यह खेल होता है और पुलिस को मालूम भी नहीं होता है तो कार्यवाही करने का तो सवाल ही नहीं बनता। और जब कार्यवाही ही नहीं होता तो गरीब व धनवान बनने की चाह रखने वाले दिन ब दिन अपनी आर्थिक स्थिति को गर्त में जरूर डालते जा रहे हैं। पर कारोबारियों और मिलीभगत वालों की तो सालाना आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो ही जाती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर में दशकों से ड्रग्स का धंधा परवान पर है जिसके कारण भले कई युवा इसकी गिरफ्त में आकर अपनी जान गंवा बैठे और नित नए इस जानलेवा ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं किंतु उक्त मौत के सौदागरों को संरक्षण देने वाले साहब को प्रत्येक माह चांदी नहीं सोने की छड़ी नियमित रूप से भेंट चढ़ती रहती है । मुख्यमंत्री लाख शराबबंदी का दावा कर लें किन्तु सूत्रानुसार चढ़ावा की बदौलत मनमाने कीमत पर शराब की टेट्रा पैक समेत चुलाई शराब की होम डिलीवरी निर्वाद्ध जारी है जो कि सर्वविदित है। आमजनों की मानें तो गांजे का अवैध धंधा भी ज़ोरों पर है जिसकी चपेट में युवा तो दूर की बात किशोर भी सिगरेट में भर कर शौकिया पी रहे हैं। यदि समय रहते इन अवैध धंधों पर प्रशासन द्वारा नकेल नहीं कसा गया तो देश का भविष्य कहे जाने वालों का भविष्य ही बचाना मुश्किल हो जाएगा । अब देखना उचित होगा कि प्रशासन इस ओर क्या कार्रवाई कर पाती है??