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Bihar News किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराने में विफल भाजपा जदयू सरकार:सुनील कुमार राव

संवाददाता मोहन सिंह

बेतिया /पश्चिमी चंपारण।

किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराने में पुरी तरह विफल है भाजपा – जद(यू) की नीतीश सरकार। बाजार में 400 से 500 में यूरिया मिल रहा है और साथ में जबरन नैनों यूरिया या कीटनाशक,जाइम व अन्य उत्पाद जिसकी किसानों की कोई जरूरत नहीं है। जिला पदाधिकारी के तमाम प्रयासों के बावजूद कालाबाजारी पर रोक नहीं लग पा रही है।

Bihar News BJP JDU government failed to provide urea to farmers at reasonable price: Sunil Kumar Rao

 
उक्त बातें जिला पदाधिकारी को दिये गए आवेदन में अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सह माले नेता सुनील कुमार राव ने बताया है कि खाद कालाबाजारी खासकर यूरिया की कालाबाजारी के मुख्य कारण थोक खाद विक्रेता है जो अपने मुनाफे के लिए खुदरा खाद विक्रेताओं को निर्धारित मूल्य से अधिक की राशि लेते हैं। जिस यूरिया को किसानों को 266 रुपए में बेचने को कहा जा रहा है वह बेतिया में थोक विक्रेताओं से नकद 280 रुपए में खुदरा दुकानदारों को लेना पड़ता है। दुकान तक ले जाने का भाड़ा के साथ एक क्विंटलकीटनाशक,जाइम,जिंक या अन्य उत्पाद जबरन लेना पड़ता है जिसे किसान जल्दी लेना नहीं चाहते हैं। उसी तरह अन्य खादों पर भी अधिक राशि और अन्य बेकाम का उत्पाद लेना पड़ता है। फिर उसमें प्रखंड से लेकर जिला तक प्रति बोरी के अनुसार चढ़ावा देना पड़ता है। आपके द्वारा कड़ाई के बाद खुदरा दुकानदार अब अपने चहेते किसानों व अपने आदमी जन के अंगूठे का निशान लगा गोदाम नील दिखा उसे अधिक रेट में बेंच रहे है। जिला में सबसे अधिक उर्वरक कारोबार पर काबिज थोक विक्रेताओं में कमला कृषि केंद्र एवं काशी नाथ इंटरप्राइजेज द्वारा बेचे जा रहे खाद की गहनता से जांच होगी तो बातें स्पष्ट हो जाएगी। इफको कृषि बाजार की भी भौतिक सत्यापन होगा तब उसकी कालाबाजारी का खुलासा होगा । वहीं मोतिहारी में उर्वरक का लगने वाला रैक का खाद बहुत कम ही बेतिया पहुंच पाता है और खुदरा दुकानदारों को वहां से खाद लाने का खर्च भी बढ़ जाता है।

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उन्होंने कहा एक दो या दस बीस खुदरा दुकानदारों पर कार्रवाई से समस्या का समाधान नहीं होगा। जब तक वास्तविक रेट से खुदरा दुकानदारों को खाद देने की गारंटी नही होगी।खाद की कालाबाजारी पर रोक नहीं लग पाएगी। इसपर गंभीरता पूर्वक विचार कर खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाया जा सकता है।

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