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Agra News: प्रसव पीड़ा से कराहती रही महिला परिजनों ने लगाया डॉक्टरों पर प्रसूता के प्रति लापरवाही का आरोप

संवाददाता सुशील चंद्रा
कस्बा बाह में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शासन की योजनाओं को डॉक्टरों द्वारा पतीला लगाया जा रहा है।एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर सरकार के ही कर्मचारी महिलाओं के प्रति अमानवीय व्यवहार करने से बाज नहीं आ रहे हैं।ऐसा ही एक मामला बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सामने आया है जिसमें एक गर्भवती महिला जो कि प्रसव के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर आयी थी लेकिन स्वास्थ्य केंद्र पर कोई भी डॉक्टर नहीं था।काफी समय तक अस्पताल में इंतजार करने के बाद भी जब कोई डॉक्टर, नर्स प्रसूता को देखने नहीं आया तो मजबूरी में परिजन महिला को प्रसव के लिए प्राइवेट अस्पताल में लेकर चले गए।लेकिन परिजनों ने डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने की बात कही है।

सरकारी तनख्वाह लेने के बाद भी डॉक्टर अपने कार्य को सही ढंग से करते नजर नहीं आ रहे है।प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला जनपद आगरा के शंभूनाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाह का है जहां गुरुवार सुबह 8:30 बजे करिश्मा पत्नी संदीप निवासी गांव खिल्ली थाना बासौनी प्रसव के लिए सीएचसी बाह पर आयी काफी देर तक प्रसूता प्रसव पीड़ा से कराहती रही लेकिन किसी भी चिकित्सक को उनके ऊपर दया नहीं आई काफी देर बाद करिश्मा के परिजन उसे प्राइवेट अस्पताल ले जाने को मजबूर हुए। परिजनों ने सीएचसी बाह के चिकित्सकों पर प्रसूता को ना देखने का आरोप लगाया है और परिजनों द्वारा प्रसूता को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों की बड़ी लापरवाही किसी दिन बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है।जब इस सम्बंध में सीएचसी अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने मामला संज्ञान में न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।सीएचसी बाह में एक भी महिला डाक्टर की तैनाती नहीं है।

कई बार समाजसेवियों द्वारा शिकायती पत्र देने के बावजूद भी अभी तक सीएचसी बाह में किसी भी महिला डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है इसके लिए कई बार क्षेत्रीय विधायक का को भी पत्र दिया गया लेकिन फिर भी किसी महिला डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई बावजूद इसके हो भी जो डॉक्टर सीएचसी बाह में तैनात हैं वह भी अपने कर्तव्य का पालन करते नजर नहीं आ रहे हैं। अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाहर से दवाएं और एंटी रेबीज इंजेक्शन लाने पड़ते हैं तो कभी मरीजो को चिकित्सकों की लापरवाही झेलनी पड़ती है।

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