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Bihar News माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा कर्ज़, उत्पीड़न और महिलाओं की बढ़ती आर्थिक असुरक्षा के खिलाफ भाकपा-माले ने किया प्रदर्शन

संवाददाता मोहन सिंह

बेतिया/ पश्चिम चंपारण।
माइक्रोफाइनेंस कंपनियां साप्ताहिक किस्तों के बहाने महिलाओं का मानसिक और आर्थिक शोषण के खिलाफ भाकपा-माले ने नौतन प्रखण्ड पर धरना प्रदर्शन कर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न पर रोक लगाने की मांग किया।

Bihar News CPI-ML demonstrated against loans, harassment and increasing economic insecurity of women by microfinance companies
भाकपा-माले नौतन प्रखण्ड सचिव सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि बिहार के गरीब मेहनतकश वर्ग ख़ास कर महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय होती जा रही है। बढ़ती महंगाई, कम आमदनी, सम्मानजनक मानदेय के अभाव, और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण के कारण आज अधिकांश महिलाओं को अपने परिवार के भरण-पोषण हेतु कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ता है। जीविका के माध्यम से बनाए गए स्वयं सहायता समूहों ने महिलाओं को कुछ हद तक सहारा अवश्य दिया है, परंतु बीते वर्षों में इनके समक्ष नई और गंभीर समस्याएं उभरकर सामने आई हैं। चूँकि ज़रूरत के मुताबिक़ कर्ज सरकारी समूहों से नहीं मिलता इसलिए इन्हें माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के पास जाना पड़ता है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियाँ जरूरतमंद गरीब परिवारों को कर्ज़ लेने को प्रेरित करती हैं लेकिन ऊंची दर के सूद के कारण ये महिलाएं एक के बाद दूसरे माइक्रो फाइनेंस कंपनी/प्राइवेट बैंक के जाल में फंसती चली जाती हैं।
माइक्रोफाइनेंस कंपनियां साप्ताहिक किस्तों के बहाने महिलाओं का मानसिक और आर्थिक शोषण कर रही हैं। प्रताड़ना की घटनाएं इतनी गंभीर हो चुकी हैं कि कई महिलाएं आत्महत्या और घर छोड़कर भागने जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं। ऋण वसूली की प्रक्रिया के दौरान महिलाओं और गरीब परिवारों के साथ उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना, और सामाजिक अपमान जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। यह स्थिति न केवल वित्तीय अस्थिरता को बढ़ावा दे रही है, बल्कि समाज में असमानता और अवसाद को भी गहरा कर रही है।

Bihar News CPI-ML demonstrated against loans, harassment and increasing economic insecurity of women by microfinance companies
भाकपा-माले नेता विनोद कुशवाहा ने कहा कि
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के अलावा, बिहार में महाजनी प्रथा भी तेजी से बढ़ रही है। इन महाजनों द्वारा गरीब और संकटग्रस्त परिवारों को अत्यधिक ब्याज दरों पर कर्ज़ दिया जा रहा है — कई इलाकों में यह दर 80% तक पहुँच चुकी है। यह न केवल आर्थिक शोषण का उदाहरण है, बल्कि यह राज्य की विधिक और नैतिक जिम्मेदारियों को भी चुनौती देता है।Bihar News CPI-ML demonstrated against loans, harassment and increasing economic insecurity of women by microfinance companies

भाकपा-माले नेता रविन्द्र राम ने कहा कि समूह की महिलाओं का 2022 तक का कर्ज़ माफ हो और समूह से महिलाओं को उनके आवश्यकता अनुसार कर्ज़ दिया जाए। और महिलाओं को समूह लोन देने के पीछे उनके आर्थिक सशक्तिकरण और उन्हें स्वावलंबी बनाने का विचार है, इसलिए एक लाख रुपए तक के हर तरह के समूह कर्ज -जीविका, माइक्रो फाइनेंस या बैंक- पर 1% से अधिक सूद नहीं हो।

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