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कस्बा बसरेहर की पूर्वांचल बैंक प्रबंधक की मनमानी दो माह से बुजुर्क के नही निकाल रहे पैसे

 

रिषी पाल सिंह : इटावा जिले के कस्बा बसरेहर के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक कैसे काम कर रही हैं यह तो किसी गरीब से पूछो या फिर जरूरतमंद से बसरेहर पूर्वांचल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, जिला सहकारी बैंक संचालित है। लेकिन इन बैंकों में गरीबों को, जरूरतमंदों को कैसे परेशान किया जाता है यह तो आप वीडियो देख कर ही पता लगा लेंगे चकवा बुजुर्ग निवासी सुरेश चंद जो अपनी पेंसिन तथा प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से अपनी गृहस्थी का पालन कर रहे हैं लेकिन पूर्वांचल बैंक शाखा प्रबंधक 2 माह से उनके पैसे निकालने से आनाकानी कर रहे हैं ।

उन्होंने खाता संचालक से अपनी व्यथा बताते हुए कहा श्रीमान जी मेरी किताब कहीं खो गई है, उन्होंने खाता नंबर के लास्ट के 4 नंबर बताएं, आधार कार्ड भी साथ लेकर आए शाखा प्रबंधक ने केवाईसी जमा करने के लिए कहा तो उन्हे केवाईसी फॉर्म मांगते मांगते आज दो महा हो गए हार थककर वह बैंक के सामने ही फूट-फूट कर रोने लगे और अपने परिवार और बच्चों को पालने की खातिर आने जाने वालों से गुहार लगाने लगे लेकिन बैंक शाखा प्रबंधक और अधीनस्थ कर्मचारियों पर उन्हें दया नहीं आई किसी ने भी उनकी मदद करने की बजाय धक्के खाने को मजबूर कर दिया। यह हाल पूर्वांचल बैंक का ही नहीं है साथ ही भारतीय स्टेट बैंक शाखा बसरेहर के शाखा प्रबंधक की भाषा शैली, कर्मचारियों की कार्यशैली इससे भी अधिक दूषित है, बेचारे गरीब लॉक डाउन होने की वजह से काफी परेशान है बैंक कर्मचारी तथा (शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट) बैंक ग्राहकों के साथ अमानवीय व्यवहार करते दिखाई देते हैं यही हाल सेंट्रल बैंक मोहब्बत पुर में सरेआम देखा जा सकता है। ज्यादातर बैंक कर्मचारी गरीब, मजदूरों, बेसहारा लोगों को अपनी भाषा शैली से अपमानित करते हैं, अधिकांश ग्रामीण गरीव तथा अशिक्षित है जो अपने अधिकारों से अंजान है, जिसका दुरप्रयोग बैंक कमर्चारी आये दिन करते नजर आते है, आए दिन बैंकों में देखने को मिलता है कि गरीव , अशिक्षित जनता का किस प्रकार त्रिस्कार किया जाता है। बैंक कमर्चारियों तथा अधिकारियों को चाहिए कि आम जनता की सेवा के लिए उनको बैंक में रखा गया है ना कि गरीबों को सताने के लिए।

रिषी पाल सिंह

जनवाद टाइम्स

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