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चेहरे पे चेहरा ( लघुकथा )

कथाकार- जयमोहन प्रयागराज

मैं अपने नए मकान में आई। पड़ोस में मेरे शर्मा जी रहते हैं ।वह व उनकी पत्नी मुझसे मिलने आए। बड़े शांत व शालीन लगे दोनों लोग। भाभी जी आप सामान लगाइए मैं अभी चाय नाश्ता लाता हूं ।नहीं नहीं भाई साहब रहने दीजिए। हम बाजार से मंगवा लेंगे। अरे ऐसा कैसे हो सकता है आप हमारे पड़ोसी हैं आज ही आए हैं ।सामान लगाना है बस नाश्ता भिजवाता हूं। जाने के थोड़ी देर बाद शर्मा जी चाय वा गरम पकोड़े ले आए। अरे भाई साहब आपने कष्ट क्यों किया ।

आपने बेकार भाभी जी को परेशान किया ।भाभी जी मेरी पत्नी बहुत अच्छी है। उसने ही मुझसे कहा कि वह आपको नाश्ता और खाना बनाने के लिए मना कर दे ।खाना भी तैयार कर रही है। हम उनकी शालीनता के कायल हो गए ।कौन पूछता है आजकल किसी को दो दिन बाद उनके घर से चिल्लाने की आवाज आई मैंने मेहरिन से पूछा यह कौन जोर-जोर से चिल्ला रहा है । महरीन नेबताया कि शर्मा जी की मां है ।बहू को गाली दे रही है अरे इतनी अच्छी बहू से वह क्यों नाराज है क्या ऐसे अच्छे लोगों से भी लोग नाराज हो सकते हैं।
मेहरिन हल्के से मुस्कुरा कर चल दी अब तो रोज का काम था 10:00 बजे जब शर्मा जी दफ्तर जाते घर में चिल्लाहट शुरू हो जाती ।मेरे पति बोले बुढ़िया सठिया गई है। मैंने कहा आप बिना सोचे समझे बिना देखे हुए किसी के प्रति क्यों धारणा बनाते हैं ।ऐसा नहीं करना चाहिए एक दिन में छत पर गई वहां से शर्मा जी का पूरा आंगन व बरामदा दिखता था ।देखकर मैं अवाक रह गई देखा शर्मा जी की बूढ़ी मां पानी मांग रही है। बहू ने दूर से खड़ी होकर ठेंगा दिखा रही है ।वह चिल्ला रही है तो हंसकर थप्पड़ दिखा रही है ।

चेहरे पे चेहरा ( लघुकथा )

बूढ़ी मां पानी लेने के लिए उठी तो गिर गई ।वह बहू को गाली देने लगी बहू ने झाड़ू उठा कर उससे उन्हें पीटा ।वह चीखती रही पर बहू मौन होकर उन्हें सताती रही ।मेरा मन दुख से भर उठा।लोग बूढ़ी की गाली देने की आवाज सुनते हैं और बहू की करतूत नहीं जानते हैं मेरा मन क्रोध से भर उठा इंसान चेहरे पर चेहरे लगाता है दुनिया के सामने शिष्टाचार शालीनता का चेहरा और मां के लिए इतना घिनौना विद्रूप चेहरा मेरा मन वितृष्णा से भर गया।

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जनवाद टाइम्स