
सुनील पांडे : कार्यकारी संपादक
कोरोना संक्रमण जैसी वैश्विक आपदा के चलते केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक वर्ष के लिए विधायक निधि समाप्त करने का कैबिनेट की एक बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए फैसला लिया। उक्त फैसले की मंजूरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8 अप्रैल 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई कैबिनेट की एक बैठक में लिया।इसके साथ साथ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 8 अप्रैल की शाम को हुई बैठक में चार प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगी। पहले प्रस्ताव के अंतर्गत विधायक निधि को 1 वर्ष के लिए समाप्त करना। इस अवधि में विधायक निधि में दी जाने वाली 2020- 21 की संपूर्ण राशि को कोविड -19 संक्रमण यानी कोरोना संक्रमण से लड़ने के संदर्भ में किया जाएगा। दूसरे प्रस्ताव के अंतर्गत मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों के वेतन में 30% की कटौती पर कैबिनेट की मुहर लगी । तीसरे प्रस्ताव के अंतर्गत विधायकों के वेतन में 30% की कटौती की गई। चौथे प्रस्ताव के अंतर्गत आपदा निधि 1951 में फेरबदल किया गया है। अब तक आपदा निधि 600 करोड़ की राशि थी जिसे वर्तमान समय में कोरोना जैसे वैश्विक आपदा को देखते हुए 1200 करोड़ कर दिया गया ।यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि केंद्र सरकार जहां 2 वर्ष तक संसद निधि में कटौती की है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक निधि में 1 वर्ष की ही कटौती की है । यहाँ पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों में समानता यह है दोनों ने अपने सांसदों एवं विधायकों के वेतन में 30% तक 1 वर्ष की ही कटौती की है। विधायक निधि से लगभग 1509 करोड़ एवं विधायकों के वेतन कटौती से करीब17.5 करोड़ आएंगे जो कोरोना संक्रमण से लड़ने में किए जाएंगे। आपदा की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया फैसला सराहनीय है। केंद्र सरकार के बाद जो राज्य सरकारें कोविद -19 यानी कोरोना संक्रमण पर सर्वाधिक सक्रिय हैं उनमें उत्तर प्रदेश सरकार भी एक है।