Bihar News : चम्पारण का एक ऐसा दलित बस्ती जहाँ आजादी के दशकों बाद भी बिजली व सड़क की है बेबसी

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
पश्चिम चम्पारण के जिला मुख्यालय से सटे चनपटिया प्रखंड अंतर्गत तुनिया विशुनपुर पंचायत का ब्रह्मटोला, परसा तुनिया, वार्ड नम्बर 1 का दलित बस्ती आज भी मूलभूत विकास के दावों को खोखला साबित कर रहा है। बेतिया नगर निगम से मात्र 8 से 10 किमी की दूरी होने के बावजूद यह बस्ती सरकारी उपेक्षाओं का दंश झेल रहा है। मुख्यालय के नजदीक होने के बावजूद किसी जनप्रतिनिधि और अधिकारी के नजर में दलित बस्ती की दुर्दशा पर नजर ना होना प्रदेश के विकास के लिए मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना ही छलावा बन रहा है।
तुनिया विशुनपुर पंचायत के परसा मिडिल स्कूल से लगभग 500 मीटर पूर्व बसी यह दलित बस्ती के लोग पांच पीढ़ी से यहां रहते आ रहे हैं। आजादी के पूर्व से जो समस्या बस्ती की रही वो आज भी आजादी के बाद जस के तस बनी हुई है। समय बदला, शासन बदला पर नहीं बदला तो इस बस्ती का सूरत। इस दलित बस्ती में अब तक ना बिजली पहुंच सकी और ना ही घर तक पक्की सड़क। जबकि बस्ती से लगभग 500 मीटर की दूरी पर ही पक्की सड़क और बिजली दोनों ही है पर वो बस्ती तक नहीं जा सकी।
आधे अधुरे खोखले विकास के छलावों ने ही इस बस्ती में रह रहे 50 परिवारों में 25 परिवार अन्यत्र पलायन कर चुके हैं। आखिर आज के आधुनिक युग में ऐसी जरूरतों के लिए आखिर कब तक कोई धैर्य रखें तो पलायन तो लाजमी है, पर जिन्होंने धैर्य नहीं खोया वो आज भी सरकार व प्रशासन के तरफ कातुर निगाहों से देखना नहीं छोड़ा है। दिन ढलते ही अंधेरे में रहने की एक मजबूरी आज उनका अभिशाप बनता जा रहा है। ऐसे में एक सोलर लाइट भी यदि रहता तो बस्ती अपने अंधेरे को दूर कर प्रकाश कर सकता था।
दलित बस्ती में नल जल तो दिखा पर ग्रामीण बताते हैं कि पंचायत चुनाव 2021 के पहले जो एकाध बार पानी आया फिर कभी नल से जल गिरते नहीं देखा गया। ऐसे में यदि चापाकल नहीं होता तो शायद पानी के लिए भी बस्ती तरसता नजर आता।
बिहार की स्थिति चाहे जो भी हो पर मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के विकास पर यह दलित बस्ती एक काला धब्बा है।