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स्वर्गीय पूर्व प्रधान अटल बिहारी बाजपेई जी की याद में बटेश्वर आगरा में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

 

संवाददाता रनवीर सिंह : बटेश्वर तीर्थ धाम बटेश्वर में स्वर्गीय पूर्व प्रधान अटल बिहारी बाजपेई जी की याद में मुख्य मंदिर के बने यात्री विश्राम गृह में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।कवि सम्मेलन का सुभारम्भ मुख्यअतिथि माननीय डाक्टर राम शंकर कठेरिया सांसद एंव राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार ने ब्रह्मबलाल महादेब की पूजा अर्चना कर फीता काट कर एंव सरस्वती मां पर दीप प्रज्वलित कर उद्धघाटन किया ।

इस मौके पर जिला पंचायत अध्य्क्ष प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल, मेला प्रभारी अमित प्रताप सिंह संयोजक एंव संचालक डाक्टर अरुण उपाध्याय डाक्टर वीपी मिश्रा, अतीत मंच अध्यक्ष सहित ज़िला पँचायत के सदस्य मौजूद रहे। कवियों में विनीत चौहानअलवर, सुनील व्यास मुंबई नीलेशअवस्थी आगरा पदम् अकेला हाथरस, गौरी मिश्रा नैनीताल।

पूनम वर्मा दिल्ली शाहिद महक बाह।मनोज शुक्ल अर्णव बाह सहित मंच पर उपस्थित रहे।
बटेश्वर के कार्तिक पूर्णमा पर मेले में लगे सांस्कृतिक टिन सेट में जिला पंचायत की ओर से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवियों ने अपनी अपनी कविता ओं के माध्यम से श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया। कवियों ने वीर रस।श्रगार रस और देश भक्त की रचनाओं से लोगों खुश कर दिया।

कवि एलेश अवस्थी ने कहा रोई है।हुक भरके मां बेटे से चिपट कर आया है मेरा लाल तिरंगे में लिपट कर।
इसी प्रकार कवि पदम् अल वेला ने कहा, सज धज के गोरी चली लेकर हरि का नाम, आशा की श्री राम से मिल गये आशाराम। कर्म उजागर होरहे बाबा है भय भीत। हनी प्रीत में तड़फ रहे गुरु मीत। पदम् अलबेला।हाथ रस।
कवित्री मथुरा ने अपनी कविता के माध्यम से बताया में हार नहीं मानूगा में रार नहीं ठा नुगा कहते कहते जीवन बिता जिस बांधे दरबेस का अटल बिहारी नामक था वो रत्न हमारे देश का।
गौरी मिश्रा नैनी ताल ने बताया मेरा चिंतन मेरा दर्शन ,तपस्याओं का आलय है , में शिव की शक्ति हूँ गोरी हूँ ये जीवन शिवालय है ।
विनीत चौहान ने कहा मौलवी न सन्त न दरबेश जीता है सद भावना का देश मे परिवेश जीता है न कोई हारा है न इस मे कोई जीता है ।सच मायने में इसमें केवल देश जीता है। विनीत चौहान अलवर राजस्थान।
मनोज शुक्ल बाह ने कहा जीवन भर सेवा कर्मी को पेंशन का अधिकार नहीं ओर राजनेता की पेंशन है शासन पर भार नहीं।
शाहिद महक ने बताया दिल के बीमार मजारों से निकली है गजल होकर मद होश ..बहकती है गजल।

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