Uttar Pradesh : सीआईएसएफ ने सरकार को कोरोना संकटकाल में लगाया करोड़ों का चूना

संवाददाता गुलााबचंद गौतम : जहां पूरा देश माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में वित्तीय संसाधनों को बचाने और अनावश्यक मानवीय आवागमन को न्यूनतम रखकर जान और ज़हान दोनों की बचाने की तन मन और धन से कटिबद्ध है। वहीं केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति और माननीय प्रधानमंत्री जी के सम्पूर्ण प्रतिरक्षा परियोजना की खुलेआम खिल्ली उड़ा रहा है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कोरोना जैसी भयंकर त्रासदी के बीच केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में बड़े पैमाने पर वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अधिकारियों के तबादले किए जा रहे हैं, जिससे तबादले पर जाने वाले अधिकारियों, उनके परिजनों, छोटे-छोटे बच्चों एवं बुज़ुर्ग माता – पिता को न सिर्फ जान का ख़तरा है, बल्कि तबादला ग्रांट एवं घरेलू सामान के भाड़े पर राजकीय कोष को करोड़ों का चूना भी लगने वाला है। ज्ञातव्य है, कि कोरोना संकट के कारण ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था के कारण सभी सरकारी विभागों को प्रशासनिक खर्चों में कमी करने की हिदायत दी गई है। यहां तक कि केन्द्रीय कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते को भी रोका गया है एवं अनावश्यक यात्राओं पर भी प्रतिबंध है। ऐसे समय में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का अपने अधिकारियों का बड़े पैमाने पर तबादला करके करोड़ों रुपए बर्बाद करने का फ़ैसला अत्यंत चिंताजनक एवं देशविरोधी है। पता चला है मात्र कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महानिदेशक महोदय ने पूर्व में जारी किए गए अराजपत्रित कर्मचारियों के सभी तबादला आदेशों को कोरोना संकट का हवाला देते हुए एक साल के लिए रोकने का फैसला लिया था, परन्तु अप्रत्याशित रूप से भारी पैमाने पर अधिकारियों के तबादले कर दिए जिससे अधिकारी एवं उनके परिजनों में भारी असंतोष एवं कोरोना का डर व्याप्त है। एक अधिकारी के परिजन ने नाम न बताने की शर्त पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि शायद महानिदेशक महोदय यह समझते हैं कि कोरोना केवल अराजपत्रित कर्मचारियों को ही बीमार करता है और राजपत्रित अधिकारियों को अमर होने का वरदान मिला हुआ है। हाल ही में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने कर्त्तव्य प्रणाली में भारी पक्षपात करते हुए अराजपत्रित कर्मचारियों को एक दिन छोड़कर ड्यूटी पर आने की छूट दी थी, परन्तु राजपत्रित अधिकारियों को कोई भी छूट नहीं दी। केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महानिदेशक श्री राजेश रंजन इसी साल नवंबर में रिटायर हो रहे हैं और उनके हाथों होने वाले बड़े तबादलों में यह अंतिम होंगे। इन तबादलों में कई अधिकारियों को मनचाही पोस्टिंग देकर प्रसन्न भी किया गया है। पता चला है कि केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में कई पुरूष और महिला अधिकारी एक ही शहर में बीस बीस साल से येन केन प्रकारेण एवं थोड़े समय के लिए दूसरे शहरों में तफरीह करके वापस आकर जमे हुए हैं। पता चला है कि इस बल में महिला अधिकारियों के तो और भी मज़े हैं, उनको कभी भी ख़राब स्थान पर तैनात नहीं किया जाता, कभी भी दंगा- फसाद, आंतरिक सुरक्षा, चुनाव ड्यूटी, आदि में तैनात नहीं किया जाता और मनचाही जगह पर तबादला किया जाता है। सुनने में यह भी आया है कि दबंग की छवि रखने वाले मध्य प्रदेश कैडर के एक उच्च आई. पी.एस. अधिकारी जो इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं, की ज़िद पर ही भारी पैमाने पर तबादले किए गए। कुछ अधिकारियों को लगता है दुर्भावनावश इधर उधर फेंका गया है।
इन तबादलों के पीछे विभागीय अधिकारियों और आई. पी. एस. अधिकारियों के बीच संगठित कैडर एवं एन० एफ़० एफ० यू ० को लेकर हुए वर्ग संघर्ष एवं अदालती लड़ाई को भी ज़िम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे समय जब सारा देश लॉकडाउन का पालन करके कोरोना महामारी एवं वित्तीय संकट का मुक़ाबला कर रहा है वहीं पर केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अपने आपको सफेद हाथी साबित करते हुए देश को खोखला करके करोड़ों का चूना लगा रहा है।