कारगिल विजय दिवस’ पर विशेषांक

रिषीपाल सिंह । कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है।भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया।
आज से 21 वर्ष पूर्व भारत ने पाकिस्तान को परास्त कर कारगिल फ़तेह किया था। कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। हम सब भारतीय प्रत्येक वर्ष की 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते है व देश के अमर शहीदों को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते है। भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है।पाकिस्तान ने कई बार प्रयास किया कि वह भारत को किसी भी तरह से हरा सके लेकिन अफसोस कि पाकिस्तान को हमेशा मुह की खानी पड़ी।
वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध तो समाप्त हुआ लेकिन सैन्य संघर्ष को विराम नही मिला। दोनों देश परमाणु परीक्षण करने लगे, जिसके कारण सीमा पर तनाव और बढ़ गया। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। पाकिस्तान के वह सारे वादे सिर्फ एक छलावा थे।
पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाक यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव को बढ़ावा देने से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।
प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया गया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना को बहुत बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जाना है। इसके बाद भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन विजय’ नाम से 2 लाख सैनिकों को भेजा। भारत और पाकिस्तान के मध्य भयंकर युद्ध हुआ। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान भारत के 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे ।
भारतीय सेना की शौर्य गाथा का दिन है 26 जुलाई,
भारत माता के अमर शहीदों की कुर्बानी का दिन है 26 जुलाई,
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कैप्टन विक्रम बत्रा के दिल मागे मोर का दिन है 26 जुलाई,
पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने का दिन है 26 जुलाई,
भारत माता के हर सैनिक के सम्मान का दिन है 26 जुलाई।