तीखे व्यंग्य : 2022 निर्विरोध सरकार का पहला कदम सफल- डॉ धर्मेंद्र कुमार

लेखक: डॉ धर्मेंद्र कुमार
गोरखपुर, मेरठ, बुलंदशहर ,काशी, बनारस, प्रयागराज, कौशांबी ,इटावा, मैनपुरी, एटा ,अलीगढ़ पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण सब जगह पंचायत चुनाव में यही गूंज सुनाई दे रही थी कि भाजपा हटाओ। प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्यों की जीत भाजपा के विरोध में आशा से अधिक होना भाजपा का जाना तय था किंतु स्वतंत्र देव जब इटावा आए तब उन्होंने कहा कि हम इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष जीतेंगे।
लगभग पूरे प्रदेश में भ्रमण कर आप इटावा आए थे वो यह जान गए थे कि इटावा को हमने छेड़ा तो विपक्षी मानने वाले नहीं फिर लगता है ऊपर खाने चुनाव मैनेज हो गया और निर्विरोध इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित होना अपने आप में सफलता की एक नई इबारत बन गया। किंतु समस्त उत्तर प्रदेश में प्रत्येक जिला में एक, दो या तीन जिला पंचायत सदस्य जीतने वाली भाजपा ने निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बना लिए।
जनता की अब समझ में आया कि स्वतंत्र देव के बयान का उल्टा समझना चाहिए था कि इटावा में भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बनेगा और पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध जीतेंगे। शायद निर्विरोध का मतलब भी अब समझ में आ गया होगा कि –
पर्चा भरने वालों के, जूते मारो सालों के ।
प्रशासन को फिक्स करना और पर्चा न भरने देना ही निर्विरोध है, जो आजकल अखबारों में सुर्खियों में दिखाई पड़ रहा है। उम्मीदवार की लोकप्रियता निर्विरोध नहीं कही जा सकती है। लोगों ने विरोध में वोट दिया। विपक्ष ने जीत कर खुद को सत्ता पक्ष को बेच दिया। यही है राजनीतिक दलों का मैनेजमेंट।