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Prayagraj News : मुक्त विश्वविद्यालय में महाकुंभ पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारंभ

रिपोर्ट विजय कुमार

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में मंगलवार को महाकुंभ : सनातन मूल्य के माध्यम से मानव जीवन में परिवर्तन विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि सनातन सृष्टि के आरंभ से हैं और जब तक यह सृष्टि रहेगी तब तक सनातन रहेगा।

Prayagraj News: Two-day international conference on Maha Kumbh begins at Open University मानवीय मूल्य सनातन में भरे हैं। सनातन वह धारा है जो सार्वकालिक है, सार्वजनिन है तथा सार्वत्रिक है। प्रोफेसर शर्मा ने मनु द्वारा प्रतिपादित धर्म के 10 लक्षणों के विस्तार से चर्चा की। जिन में प्रमुख रूप से उन्होंने धैर्य, क्षमा, दम, अस्तेय, शुचिता, इंद्रिय निग्रह, बुद्धि, विद्या, सत्य तथा अक्रोध की महत्ता पर बल दिया। इन 10 लक्षणों को मनुस्मृति में धर्म के मूल तत्वों के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने इसका वर्णन करते हुए कहा कि जो बुद्धि से काम ले उसे बुद्धिमानी और जो मन की माने उसे मनमानी कहा गया है।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि मानव मूल्य जिन्हें हम भारतीय ज्ञान परंपरा के रूप में जानते हैं उसे अपने विद्यार्थियों तक पहुंचाना चुनौती पूर्ण कार्य है। उन्होंने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अनुरोध किया कि इस विषय को स्नातक पाठ्यक्रम में अवश्य शामिल करें। एन ई पी 2020 में इसकी संकल्पना की गई थी कि भारतीय ज्ञान परंपरा से अवगत कराएंगे। जिसमें सनातन प्रमुख है। हम अपने पाठ्यक्रमों का निर्माण कर विद्यार्थियों को वहां तक पहुंचा सकते हैं। यह राष्ट्र सनातन राष्ट्र है। इस सनातन राष्ट्र की परिकल्पना सबके लिए मिलकर साथ चलने से होती है। आज सनातन को विदेश में भी सम्मान मिल रहा है। यह सभी धर्मों को एक साथ मिलाकर चल रहा है। प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि महाकुंभ से जो शिक्षा ग्रहण की है उसमें प्रबंध अध्ययन पर शोध करने की आवश्यकता है। एक निश्चित भूभाग पर इस तरह करोड़ों लोगों की उपस्थिति अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती। महाकुंभ से हमें शोध के कई आयाम मिले हैं जिन पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय ने कुंभ अध्ययन पर प्रमाण पत्र कार्यक्रम के माध्यम से महाकुंभ को जानने एवं समझने का अवसर प्रदान किया है। जिसमें लोग स्वेच्छा से प्रवेश ले रहे हैं।

Prayagraj News: Two-day international conference on Maha Kumbh begins at Open University
समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडेय, कुलपति, जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट ने कहा कि सनातन की रक्षा के लिए दया, करुणा, विश्व बंधुत्व तथा सतोगुण का विकास जरूरी है। भारतीय संस्कृति की विश्व में सबसे ज्यादा मांग है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ एक सांस्कृतिक प्रस्तावना है। प्रदेश सरकार ने इसको पर्यावरण तथा जीडीपी से जोड़कर उत्कृष्ट कार्य किया है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री राजेश प्रसाद, निदेशक, इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज ने कहा कि सनातन मूल्य भारतीय संस्कृति और दर्शन का अभिन्न अंग है, जो जीवन को उत्कृष्टता, सद्भाव और आध्यात्मिक शांति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है। आज के समय में जब समाज तेजी से भौतिकवाद की ओर बढ़ रहा है, सनातन मूल्य की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है।
बीज वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर शिव कुमार द्विवेदी, पूर्व कुलपति, बाबासाहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने कहा कि सनातन धर्म के मूल में वेद है। यह धर्म कई अन्य धर्म की उत्पत्ति का आधार रहा है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की की सनातन धर्म का भौतिकवादी सोच की तरफ झुकाव है संस्कृति और संस्कारों को लोग भूलते जा रहे हैं इस पर चिंतन मनन की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सनातन धर्म विज्ञान, नैतिकता और मानवता की आधारशिला है। सनातन धर्म का उद्देश्य ईश्वर की खोज करना है। धर्म का मार्ग ही जीवन की सफलता का मार्ग है। हिंदू धर्म वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है।
अतिथियों का स्वागत डॉ त्रिविक्रम तिवारी, संचालन डॉ गौरव संकल्प एवं कार्यक्रम के बारे में तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ जी के द्विवेदी ने किया।
उल्लेखनीय है कि सम्मेलन में अब तक कुल 780 पंजीकरण हुए हैं। दो दिन चलने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 5 ऑफलाइन और 5 ऑनलाइन कुल 10 तकनीकी सत्रों का संचालन किया गया। इस अवसर पर 268 शोध पत्रों से सुसज्जित पत्रिका, अन्वेषिका तथा लीला पुरुषोत्तम श्री कृष्ण पुस्तक का विमोचन अतिथियों तथा कुलपति ने किया।
इसके उपरांत आज सायं सरस्वती परिसर में भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों के मध्य डॉ रागिनी मिश्रा, मानस मंदाकिनी सरस्वती, मऊ और श्री मनोज गुप्ता, प्रयागराज ने अपनी संगीतमयी गायन की रसमयी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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संयोजक डॉ जी के द्विवेदी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन 26 मार्च को अपराह्न 3:30 बजे होगा। समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर कृष्ण बिहारी पांडेय, पूर्व अध्यक्ष, लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश तथा पूर्व कुलपति, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर होंगे। अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम करेंगे।

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जनवाद टाइम्स