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ऑनलाइन शिक्षा: अभिभावकों और शिक्षकों के सामने मौजूद चुनौतियां क्या हैं?

ऑनलाइन शिक्षा: अभिभावकों और शिक्षकों के सामने मौजूद चुनौतियां क्या हैं?

मनोज कुमार राजौरिया । कोरोना वायरस जैसी इस महामारी ने जब सभी देश व दुनिया को एक ऐसी दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ सबकी गति मानो थम सी गयी हो, भागते- दौड़ते शहर मानो रुक से गये हों। चिड़ियों की चहचाहट के साथ पार्कों और सड़कों पर सैर को निकलते लोग आज घरों में कैद हो गये हैं। स्कुल, कॉलेज सब पर ताला लटका हुआ है। ऐसे में पढ़ाई का नुकसान ना हो यह एक चिंता का सबब था पर हम तो पत्थरों को चीरकर राह निकालने वाले लोग हैं, पर हम कहाँ हार मानने वाले हैं। इंटरनेट और विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जब हम पुरे विश्व को एक धागे में बाँध सकने का जज्बा रखते हों तो छात्रों की पढ़ाई का नुकसान की सोचना बेमानी बात होगी। अब तो सभी स्कूलों में ऑनलाइन क्लास एक अति आवश्यक अंग हो गया है जो कोरोना जैसी महामारी को मुंह चिढ़ा रहा है। प्रत्येक स्कूल में प्रत्येक कक्षा के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाये जा चुके हैं जहाँ छात्रों को नियमित रूप से शिक्षक होमवर्क, पढने के लिए पीडीएफ और देखने के लिए विडियो भेजते हैं। इसका फायदा ये है कि अब सब कुछ दोनों की मर्जी पर शिक्षक ने अपना काम कर लिया अब छात्र अपना काम करें। कोई रोक- टोक, डांट- डपट, शरारत कुछ नही। और तो और दंड का कोई प्रावधान भी नही।

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★ अभिभावकों की चिंता

अभिभावक का एक वर्ग इस बात को लेकर चिंतित है कि इस महामारी में जब शिक्षकों ने पढाया ही नही तो पैसे क्यों दिए जाये और फिर स्कुल और अभिभावकों के बीच की रस्साकसी में स्कूलों ने आगे आकर छात्रों को ऑनलाइन क्लास देने का निर्णय लिया जो एक स्वागत योग्य कदम है। व्हाट्सएप पर काम भेज देना तो रस्म अदायगी भर है। अब एक ग्रुप में सभी शिक्षक अपने अपने हिस्से का काम देकर निश्चिन्त हो जाये तो भला उन बच्चों के साथ तो ये नाइंसाफी ही है। सबसे दुखदायी पहलू इनमे छोटे बच्चों के साथ गुजरता है। अब जब विद्यालय गूगल मीट, माइक्रोसॉफ्ट टीम या सिसको जैसे सॉफ्टवेयर की मदद से पढ़ाते हैं। 4 या 5 साल के बच्चों को लैपटॉप , टैब या मोबाइल के सामने बैठने की आदत तो होती नहीं पर शिक्षक की भी मज़बूरी है क्योंकि उनके ऊपर दबाब है पर क्या इतने छोटे बच्चों को बिना माँ- बाप की मदद से ऑनलाइन क्लास दिया जा सकता है और अगर इसका उत्तर हाँ है तो अगर माँ बच्चे के साथ बैठ गयी तो घर का काम कौन करेगा क्योंकि क्लास का टाइम तो सुबह का होता है और ऐसे में घर की जरूरतों का ध्यान कौन रखेगा क्योंकि इस महामारी में तो घरों में किसी सहायक का आना संभव नही।

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मुझे ताज्जुब तब हुआ जब मेरे मित्र की 4 साल की बेटी को पढ़ाने वाली शिक्षिका ने ऑनलाइन क्लास में हिंदी बोलना जैसे मुनासिब ही नही समझा अब समस्या ये है की अगर अभिभावक को इतनी अंग्रेजी ना आये तो क्या एक अंग्रेजी स्कुल का शिक्षक माँ- बाप को ऑनलाइन इंग्लिश ट्रेनिंग देंगे

★ ऑनलाइन शिक्षण में ‘संवाद’ की जरूरत

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बड़े बच्चों को भी ज़ूम या टीम पर पढ़ाने में शिक्षक का सभी छात्रों से संवाद तो होता नही और सब शिक्षक अपनी स्लाइड या ब्लैकबोर्ड स्क्रीन शेयर कर अपनी पीठ तो थपथपा सकते हैं पर असल में संवाद के बगैर पढ़ाई का कोई अर्थ नही बचता। जबतक आपसी संवाद ना हो , एक सुखद चर्चा ना हो, विचार का आदान प्रदान ना हो तो पढ़ाई उबाऊ है क्योंकि आप एक कमरे से बैठ 60 बच्चों के साथ बिना उन्हें देखें सिर्फ ये मान लेते हैं की पढ़ाई हो गयी।

मेरे एक मित्र बताते हैं की उनका बेटा कैसे मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास में गेम खेलता है , मैं अपने बेटे को अक्सर बिस्तर पर सोकर पढ़ते देख डांटता हूँ क्योंकि ऑनलाइन क्लास में आपके पास छात्रों के नियंत्रण के लिए कुछ है नहीं बस आप अपना ज्ञान देते रहिये।

★ शिक्षकों के सामने एक नई चुनौती

अब एक शिक्षक के पहलू से देखते हैं। हाल ही में कई शिक्षिकाओं ने शिकायत की है कि छात्र उन्हें कभी-कभार व्हाट्सएप पर ऐसे मेसेज भेजते हैं जो उपयुक्त नहीं कहे जा सकते। इसके साथ ही साथ बच्चों के पिता जिनके मोबाइल पर शिक्षिकाओं के मोबाइल नंबर व्हाट्सएप ग्रुप पर मौजूद है, शिक्षिकाओं को फोन करके बेवहजह परेशान करते नजर आते हैं। इसके कारण भी शिक्षक साथियों को होने वाली परेशानी की तरफ भी हमें ध्यान देने की जरूरत है ताकि ऑनलाइन लर्निंग के दौरान छात्र-शिक्षक रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े और अभिभावकों की तरफ से भी अगर ऐसी कोई समस्या किसी शिक्षिका को हो रही है तो विद्यालय प्रबंधन व संबंधित विभाग को अपनी तरफ से सहयोग की पहल करनी चाहिए।

★ ऑनलाइन लर्निंगः सीखने का अवसर और तैयारी की जरूरत

आज के इस माहौल में ई-लर्निंग एक आवश्यक अंग बन चुका है पर हम इसके आदी नही है और हमें ऐसे सिस्टम को अपनाना तो पड़ेगा ही पर यह एक खानापूर्ति बनकर सीखने की और सिखाने की परम्परा में आड़े ना आये। हम अपने ज्ञान को थोपने के लिए मासूम बच्चों को अपना शिकार तो नही बना सकते। शिक्षा में आडम्बर का स्थान नही है पर व्हाट्सएप पर अपने काम की खानापूर्ति या ज़ूम पर सभी छात्रों के बोलने पर म्यूट बटन की पाबन्दी लगा हम एक स्वस्थ बातावरण बना रहे हैं। क्या ऑनलाइन क्लास में जहाँ शिक्षकों को एक अभिभावक भी सुन सकता है , क्लास की प्राइवेसी का उलंघन तो नही और कहीं इसी डर से तो शिक्षक खुद को एक अच्छा शिक्षक साबित करने की होड़ में शिक्षा के मूल उद्देश्य से भटक तो नही रहा है?

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