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Mahakumbha Nagar Prayagraj News:भगवान नटराज के नृत्य भाव तथा रामायण के नवरस प्रसंगों से झंकृत हुआ मंच

रिपोर्ट विजय कुमार

महाकुम्भ 2025 में बड़े तादाद में श्रद्धालुओं का आवाजाही हो रही है। प्रत्येक दिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रमुख तिथियों के स्नान का दिन हो। गंगा पण्डाल में भी नित्य प्रति दिन गीत संगीत एवं नृत्य के अदभुत आयोजन हो रहें है। दिनांक 18 फरवरी 2025 को गंगा पण्डाल में प्रथम प्रस्तुति के रूप में गुरु गंगाधर प्रधान की शिष्या एवं पद्मश्री तथा संगीत नाटक अकादमी तथा उड़ीसा संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत तथा देश विदेश में ओडिसी नृत्य को प्रमुख पहचान दिलाने वाली सुश्री अरुणा माहन्ति ने अपने नृत्य संयोजन से पूरे पण्डाल को मोहित कर दिया। अपने प्रथम प्रस्तुति शिव धीमहि में उन्होंने भगवान नटराज भगवान शिव को समर्पित एक नृत्यांजली प्रस्तुत की। जिसमे शिव द्वारा मां गंगा को अपने केशों में तथा चंद्रमा को अपने मस्तक में पहनने तथा सागर मंथन से निकले कालकूट विष को ग्रहण करने के पश्चात कंठ के नीले होने तथा भगवान नटराज द्वारा तांडव नृत्य के प्रसंग को प्रस्तुत किया। दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने रस रामायण प्रस्तुत किया, जिसमें वीर रस, श्रृंगार रस जैसे नवरस को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। इन रसों में धनुष तोड़ने, पंचवटी में राम सीता के मिलन, शूर्पणखा प्रसंग, जटायु वध, रामसेतु, राम रावण युद्ध जैसे प्रसंग शामिल हैं।

कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति के रूप में भारत मे हुए जी 20 समिट, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रविन्द्र नाथ टैगोर के स्मृति में हुए विशिष्ट कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति से शमा बांधने वाले सौरेन्द्र और सौम्यजीत ने अपनी प्रस्तुति से गंगा पण्डाल में सबका दिल जीत लिया। आप पियानो और गायन का बेहतरीन संयोजन से अपने कार्यक्रम में जान डालते है। अपने कार्यक्रम में इन्होंने मीराबाई, जयदीप से लेकर ए0 आर0 रहमान द्वारा कंपोज़ किये हुए गीतों को प्रस्तुत किया। पहली प्रस्तुति गणेश वंदना “वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभः” से किया। उसके बाद वैष्णव जन से लोगों को भक्ति रस में भिगो दिया। ए0आर0 रहमान द्वारा कंपोज़ किये गीत “ओ पालनहारे” की भावभीनी प्रस्तुति दी। जयदेव द्वारा संपादित ए ही मुरारे, कुंज मुरारे” को बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी। महाकुम्भ के लिए उन्होंने एक विशेष गाना बनाया था जिसे आज सभी दर्शकों के सामने पहली बार प्रस्तुत किया। कार्यकम के अंत मे राग भैरवी को दर्शाते हुए “मिले सुर मेरा तुम्हारा” प्रस्तुत किया जिसे सभी दर्शकों ने बहुत पसंद किया।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुती के रूप में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपने बांसुरी वादन से स्थान बना चुके तथा स्व० आचार्य जगदीश, स्व० पंडित भोलानाथ प्रसन्ना , स्व० पण्डित रघुनाथ सेठ, पंडित अजय चक्रवर्ती के शिष्य तथा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित तथा झारखंड सरकार द्वारा राजकीय सांस्कृतिक सम्मान से सम्मानित श्री चेतन जोशी ने गंगा यमुना सरस्वती तथा कुम्भ को संलेखित करती रचना को बांसुरी के माध्यम से सजाया। सर्वप्रथम गंगा को दर्शाने के लिए राग पहाड़ी, फिर जमुना को दर्शाने के लिए एक भजन “जमुना किनारे मोरो गांव” तथा सरस्वती के लिए राग सरस्वती प्रस्तुत किया। कुम्भ को राष्ट्रीय एकता से जोड़ते हुए राग देश सुनाया।Mahakumbha Nagar Prayagraj News: The stage was filled with the dance expressions of Lord Nataraja and the nine episodes of Ramayana

कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अधिषासी श्री कमलेश कुमार पाठक तथा वरिष्ठ सलाहकार गौरी बसु ने अंगवस्त्र और प्रमाण पत्र देकर सभी कलाकारों को सम्मानित किया। मंच संचालन अभिजीत मिश्रा ने किया।

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जनवाद टाइम्स