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Mahakumbha Nagar Prayagraj News:महाकुम्भ में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने को धर्माचार्यों और शोध कर रही संस्थाओं ने बताता अद्भुत

रिपोर्ट विजय कुमार

महाकुम्भ नगर। पावन संगम की धर्मधरा में धर्म, अध्यात्म एवं आस्था के महासंगम प्रयागराज महाकुम्भ में रविवार तक करीब 52 करोड़ लोग पुण्य स्नान कर चुके हैं। मात्र 33 दिनों में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन से इतिहास बन गया है। यह भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय एकता की मिसाल है। सनातन के इस विराट दर्शन के अलग-अलग निहितार्थ साधु समाज, धर्माचार्य और शोध संस्थान बता रहे हैं।Mahakumbha Nagar Prayagraj News: Religious leaders and research organizations consider the arrival of more than 50 crore devotees in Mahakumbh as amazing

*धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल*
संगम नगरी प्रयागराज की धरती पर 13 जनवरी से आयोजित हो रहा दिव्य-भव्य व नव्य धार्मिक, सांस्कृतिक समागम ‘महाकुम्भ 2025’ इतिहास रच चुका है। महाकुम्भ के समापन के पूर्व ही 33 दिनों में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल कायम की है। साधु संत और धर्माचार्य इस उपलब्धि को सनातन की बता रहे हैं। सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़ों में सबसे पहले अस्तित्व में आए श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी का कहना है कि महाकुम्भ में उमड़ा जन आस्था का यह सैलाब सनातन धर्म की सुनामी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि यह महाकुम्भ धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन में मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सहभागिता बन गया है।Mahakumbha Nagar Prayagraj News: Religious leaders and research organizations consider the arrival of more than 50 crore devotees in Mahakumbh as amazing

*युवाओं की बढ़ी सहभागिता में सीएम योगी की भूमिका*
भारत के इस विराट समागम में महाकुम्भ के समापन के 12 दिन पहले ही 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की यह संख्या किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन में मानव इतिहास की अबतक की सबसे बड़ी सहभागिता बन चुकी है। महाकुम्भ की सहभागिता पर शोध कर रही विभिन्न शोध संस्थानों ने इसे लेकर अपने अपने तथ्य पूर्ण विश्लेषण किए हैं। महाकुम्भ और तीर्थ स्थलों पर शोध कर रहे सरस्वती पत्रिका के संपादक और प्रयाग गौरव पुस्तक के लेखक रवि नंदन सिंह बताते हैं कि सत्ता और संस्कृति हमेशा से एक दूसरे को प्रभावित करते रहे हैं। सनातन को केंद्र में रखकर चल रही सत्ता की अभिव्यक्ति भी इस महा कुम्भ में हुई है। दिव्य,भव्य और डिजिटल महाकुम्भ के केंद्र में सनातन और युवा दोनों थे। डिजिटल महाकुम्भ के संकल्प से तकनीकी और युवाओं की निकटता बढ़ी। जो युवा पूर्व की सत्ता में धर्म और सनातन को लेकर उदासीन या निरपेक्ष था अब उत्सुकतावश वह सनातन को निकट से देखने महाकुम्भ आया। इस तरह सत्ता में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व और सनातन का चेहरा युवाओ के लिए नया सोसाइटी का फेस बन गया। तीर्थ स्थलों पर शोध और अध्ययन करने वाली संस्था पिलग्रीम सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रो डीपी दुबे भी मानते हैं कि महाकुम्भ के इस नए कीर्तिमान के केंद्र में युवा सनातन नेतृत्व का एक बड़ा चेहरा है।

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जनवाद टाइम्स