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Mahakumbha Nagar Prayagraj News:कल्पवास: साधना, सेवा और समन्वय का संगम ,माघ पूर्णिमा पर होगा कल्पवास का समापन

रिपोर्ट विजय कुमार

महाकुम्भ नगर।माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को महाकुम्भ में कल्पवास का समापन हो जाएगा। प्रसिद्ध ‘वॉटर वुमन’ शिप्रा पाठक, जो स्वयं भी इस बार कल्पवास कर रही हैं, ने इसकी गहराई को बेहद सरल शब्दों में व्यक्त किया। शिप्रा पाठक के अनुसार, कल्पवास केवल स्नान का पर्व नहीं, बल्कि साधना, सेवा और समन्वय का अनुभव है। कल्पवासी यहां केवल अपने पुण्य और मोक्ष के लिए नहीं, बल्कि आने वाले श्रद्धालुओं के सहयोग के लिए भी आते हैं।

*40 दिनों की तपस्या, जीवन के लिए सीख*
कल्पवास का नियम है कि धरती पर शयन किया जाए, जिससे व्यक्ति सर्दी-गर्मी के कठोर मौसम को सहन करना सीखे। शिप्रा पाठक कहती हैं, “यह तपस्या हमें जीवन के हर संघर्ष को धैर्य और समर्पण के साथ स्वीकार करने की प्रेरणा देती है।” वो कहती हैं कि यह जीवन से जुड़ा सूत्र है जो संकेत देता है कि जब हमारे सामने झुलसाने वाली परिस्थित आए और कंपनी वाली परिस्थिति हो तब हमें एक ही भाव से स्थिर होकर इसे आत्मसात करना है। ये कल्पवास शरीर को हठ योग से ऐसा बना देता है कि मन बहुत कुछ इसके अनुकूल होने लगता है।

*सच्चा पुण्य: सेवा और समर्पण*
उन्होंने कहा कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और सेवा का महासंगम है। जब तक हमारे भीतर केवल अपने पुण्य और मोक्ष की चिंता रहेगी, तब तक हम इस धरती के असली संदेश को आत्मसात नहीं कर सकते।

*सेवा भाव: हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है*
शिप्रा पाठक ने बताया कि कल्पवास के दौरान उन्होंने शिविर में कार्यरत पुजारियों, आचार्यों, कोठारियों, भंडारियों और सफाई कर्मचारियों को विशेष महत्व दिया। उन्होंने इनके साथ भोजन तैयार किया, स्वयं उन्हें खाना परोसा और उनकी समस्याओं को सुना।Mahakumbha Nagar Prayagraj News: Kalpvas: A confluence of sadhana, service and coordination, Kalpvas will conclude on Magh Purnima

*चलाया एक थैला, एक थाली अभियान*
शिप्रा पाठक महाकुम्भ में एक थैला, एक थाली अभियान से जुड़कर स्वच्छता को भी बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने बताया कि महाकुम्भ में नदियों के साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए अब तक 15 लाख थाली, 16 लाख थैला और 4 लाख गिलास वितरित किए जा चुके हैं। मंगलवाल को ही उन्होंने मदर डेयरी को 500 थैले उपलब्ध कराए, ताकि महाकुम्भ से पूरी तरह पन्नी पर रोक लग जाए। सभी दुकान वालों से निवेदन किया कि सभी को वो थैला अगले दिन लाने का निर्देश दिया जाए और इस तरह कुम्भ की धरा को छोटे छोटे प्रयासों से पन्नी मुक्त बना सकते हैं।

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जनवाद टाइम्स