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Etawah News: बेमोसम बारिश और कोहरे ने तोड़ी किसानों की कमर, सरकारी मदद कोसों दूर

आशीष कुमार

इटावा/जसवंतनगर: क्षेत्र में पिछले दिनों हुई बारिश के बाद कोहरे ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। दूर-दूर तक क्षेत्र को पहचान दिलाने वाली टमाटर मिर्च एवं आलू की फसलें इस बार बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ गई हैं। हर घर में खाना बनाते वक्त सब्जी में इस्तेमाल होने वाले आलू टमाटर और मिर्च ऐसी सब्जियां हैं जिनके बिना कोई भी सब्जी स्वादिष्ट नहीं बनाई जा सकती और इन्हीं सब्जियों को उगाने वाले क्षेत्र के किसानों को पिछले दिनों हुई बेमौसम बरसात ने कर्जदार बना दिया है। किसानों की स्थिति जानने के लिए हमारे संवाददाता द्वारा क्षेत्र के विभिन्न किसानों से बात की गई और यह जानने की कोशिश की की वर्तमान में किसान एवं उनकी फसलों की स्थिति क्या है..?

Etawah News: Unseasonal rain and fog break farmers' backs, government help far away

बातचीत के दौरान अपने खेत में टमाटर तोड़ कर बाज़ार के लिए इकट्ठा कर रहे धरवार निवासी किसान अजय सिंह उर्फ नीटू ने बताया इस बार उन्होंने अपने खेत में टमाटर की फसल बड़े पैमाने पर की थी। लग रहा था कि इस बार टमाटर कुछ मुनाफा देकर जरूर जाएगा। लेकिन हाल में ही हुई बेमौसम बरसात ने सारे अरमान धूल में मिला दिए। बरसात के कारण पेड़ों में लगा हुआ अधिकांश टमाटर बुरी तरह से सड़ चुका है और जो नए टमाटर लग भी रहे हैं वह भी दागदार हो रहे हैं जिससे बाजार में सही मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।

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टमाटर की ही खेती करने वाले अन्य किसान महेश सिंह ने बताया उन्होंने बड़ी मेहनत से दिन रात एक कर के टमाटर की फसल की अच्छी पैदावार के लिए सारे उपाय किए थे और पैदावार अच्छी होती दिखाई भी नहीं रही थी लेकिन कुछ दिन पूर्व हुई लगातार बारिश ने सारा खेल ही बिगाड़ दिया। अब स्थिति यह है कि उनकी टमाटर की फसल लगभग 70 से 80 फ़ीसदी तक खराब हो चुकी है शेष बची हुई 20 फ़ीसदी फसल भी पहले जैसी नहीं रही है।
मिर्च की खेती करने वाले किसान तेजपाल पाल के अनुसार वह आलू टमाटर और मिर्च की खेती करते हैं जिसमें से इस बार सबसे ज्यादा मिर्च की फसल खराब हुई है जो कि कुछ दिन पहले हुई बरसात की वजह से पेड़ों में बिना बिना तोड़े ही सड़कर खराब हो गई है बारिश की वजह से मिर्च का उत्पादन भी लगभग शून्य ही हो गया। मिर्च में 60 से 70 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है साथ ही आलू में भी 20 से 30 प्रतिशत नुकसान है। नुकसान की भरपाई के लिए किसी भी सरकारी प्रयास की उसे कोई जानकारी नहीं है । किसान गजेंद्र सिंह के मुताबिक उसकी भी मिर्च की फसल बारिश और हल्के ओले गिरने की वजह से खराब हो गई है अब तक उसे भी नुकसान के सर्वे करने के लिए किसी ने संपर्क नहीं किया है।

किसान राजा बाबू एवं अवधेश कुमार के अनुसार वे हर साल टमाटर और मिर्च की फसल फसल करते हैं और आवारा जानवर जिसमें जंगली सूअर ,नीलगाय, जैसे जानवर फसलों को खराब कर देते हैं। अगर उनसे बच भी गए तो मौसम की मार कहीं का नहीं छोड़ती…! खेती है तो घाटे का सौदा…! मगर क्या करें…? दूसरा काम भी नहीं कर सकते इसलिए मजबूरी में खेती से जुड़े हुए हैं। किसान रामचंद्र जोकि दूसरों की जमीन को उगाही बंटाई पर लेकर खेती करते हैं उनकी भी मिर्च एवं टमाटर की फसल इस बेमौसम बारिश से खराब हुई है उनके अनुसार भरपाई के लिए अब उन्हें मजदूरी ही करनी पड़ेगी नहीं तो लिया हुआ कर्जा कैसे चुका पाएगा। प्राकृतिक आपदा से पीड़ित इन किसानों का कहना है कि सारे दिन खेतों में काम करके रात को जंगली सूअर से एवं आवारा नीलगाय आदि रखवाली करने के लिए इस सर्द रात में भी खेतों पर ही रहना पड़ता है इसके बावजूद इसके अभी तक प्रशासन ने खराब हुई फसलों का आकलन करने के लिए कोई सर्वे नहीं कराया है।

जनवाद टाइम्स इटावा

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