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चुनमुन चूहा (बाल कहानी)

चुनमुन चूहा (बाल कहानी)

जया मोहन (प्रयागराज )

एक नन्हा चूहा था । उसका नाम था चुनमुन। चुनमुन अपने माता-पिता भाई बहन के साथ रहता था ।चुनमुन के सभी भाई बहन बहुत सीधे सरल थे। चुनमुन चंचल शरारती व जिद्दी था ।यदि चुनमुन के मन का काम नहीं होता वह गुस्सा हो जाता था। मां चुनमुन को प्यार से समझाती बेटा ऐसा करना ठीक नहीं है। मां जब सब बच्चों को खाने की चीज देती चुनमुन जल्दी से अपने हिस्से की चीज खा लेता अपनी छोटी बहन का हिस्सा छीन के ले लेता ।वह रोने लगती ।मां आकर डांटती चुनमुन तुम्हारी यह खराब आदत है ।ऐसा नहीं करते ।वह अपनी छोटी बहन चुनिया के खिलौने ले लेता। मां कहती तुम लोग घर पर ही रहना बाहर मत जाना। मां के जाते ही चुनमुन घूमने निकल जाता । चुनियां मां को बताती तो मां चुनमुन को डांटती ।चुनमुन अकेला पाकर चुनियां के कान खींचता करेगी मां से मेरी शिकायत ।चुनमुन लालची भी था। मां कहती किसी का दिया या यहां वहां पड़ी चीज मत खाया करो ।एक दिन चुनमुन घूम रहा था। उसे केक का एक टुकड़ा दिखाई दिया क्या मजेदार केक है। मैं इसे चुपचाप पूरा यही खा लेता हूं ।घर ले गया तो मां सबको बांट देगी। उसने केक का टुकड़ा उठाया जैसे ही मुंह में रखा उसे कड़वा लगा पर लालच में वह पूरा खा गया केक खाते ही चुनमुन को उल्टी व चक्कर आने लगा। यह क्या हो रहा है मुझे। चुनिया अकेली थी चुनमुन को बेहोश देखकर चुनियां घबरा गई घर से बाहर आकर चुनिया ची ची कर जोर-जोर से रोने लगी। पेड़ पर हरिहर तोता बैठा था ।हरियल ने टेटे टेटे कर पूछा क्या हुआ चुनिया तुम रो क्यों रही हो ।काका चुनमुन की तबीयत बहुत खराब है। चुनमुन बेहोश है घर में मां भी नहीं है मैं क्या करूं ।रो मत चुनिया मैं अभी डॉक्टर कालू कौवा को लेकर आता हूं। हरियल तेजी से उड़ गया जल्दी ही वह डॉक्टर कालू कौवा को साथ लेकर आया ।

डॉक्टर ने चुनमुन को देखा तो कहा इसके मुंह से दवा की महक आ रही है शायद चुनमुन ने कोई दवा या गोली खाली है । चुनीया घर में देसी घी है हां डॉक्टर साहब जाओ जल्दी से ले आओ । चुनिया जल्दी से घी ले आई। चुनिया पानी गर्म कर उसमें नमक डाल देना । चुनिया झट नमक डालकर गर्म पानी ले आई। डॉक्टर ने चुनमुन का मुंह खोलकर नली द्वारा चुनमुन के मुंह में गर्म पानी डालापानी जाते ही चुनमुन ओक ओक कीआवाज के साथ उल्टी करने लगा। चुनमुन के मुंह से झाग भी निकल रहा था। डॉक्टर साहब ने चुनमुन को घी पिला दिया। चुनमुन हाय हाय करके रो रहा था ।डॉक्टर साहब ने कहा चुनिया अभी चुनमुन सो जाएगा जब जागेगा तो उसे यह दवाई खिला देना जी डॉक्टर साहब मैं मां के आने पर आपकी फीस दे जाऊंगी ।नहीं नहीं बेटे इसकी कोई जरूरत नहीं है बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब अरे चुनिया धन्यवाद मुझे नहीं हरियल को दो हरियल मुझे समय पर ना लाता तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता ।

चुनमुन चूहा (बाल कहानी)

चुनिया चुनमुन ने जो भी खाया था उसमें जहर मिला था हरियल के साथ डॉक्टर साहब चले गए कुछ देर बाद चुनमुन के मां पिताजी आ गए चुनमुन सो रहा था चुनिया पास बैठी रो रही थी अरे चुनिया क्यों रो रही हो कितनी बार मना करती हूं चुनमुन मेरी बात सुनता ही नहीं है शाम को चुनमुन सो कर उठा उसे सब ने पूछा अब तबीयत कैसी है मां कह कर चुनमुन रोने लगा मां मुझे भूख लग रही है ।मां ने उसे खाना खिलाया कुछ दिन बाद चुनमुन ठीक हो गया। वह फिर बाहर जाने लगा चुनिया ने कहा भैया बाहर मत जाओ चुनमुन अनसुनी करके चला गया खेलते खेलते चुनमुन बगिया में पहुंचा ।वहां बड़े-बड़े पीले अमरुद देखकर वह वह ललचा गया । आहा कितने मीठे मीठे अमरुद है।जैसे ही वो खाने गया पिजड़े में फंस गया।उसे पसीना आ गया भगवान मैं कहां फंस गया मुझे माफ कर दीजिए। भगवान जी मुझे बचा लीजिए ।मैं कान पकड़ता हूं अब कभी भी लालच नहीं करूंगा अब कभी भी अकेले कहीं नहीं जाऊंगा ।तभी उड़ते हुए हरियल की नजर चुनमुन पर पड़ी अरे यह तो चुनमुन लगता है नीचे आकर हरियल ने देखा यह तो चुनमुन है ।हरियल चाचा मुझे बाहर निकालिए। मैं मर जाऊंगा चुप हो चुनमुन रो मत मैं अभी कुछ करता हूं ।वह उड़कर चुनमुन के घर पहुंच चुनिया की मां जल्दी घर से बाहर आओ अरे यह तो हरियल की आवाज है चुनिया मां के साथ बाहर आई । चुनिया ने पूछा काका क्या बात है ।चुनमुन बाग में रखे पिंजरे में बंद हो गया है। हमें उसे निकालने के लिए जल्दी ही कुछ करना पड़ेगा नहीं तो माली जाकर उसे दूर कहीं छोड़ आएगा मां व चुनिया रोने लगी उनके रोने की आवाज सुनकर सारे पड़ोसी चूहा आ गए। तुम लोग क्यों रो रही हो ।क्या हुआ रोते हुए चुनमुन की मां ने कहा मेरा चुनमुन पिंजरे में बंद हो गया है बूढ़े चूहे दादा ने कहा रो मत हिम्मत से काम लो। घबराने से काम बिगड़ जाएगा। हम सब बगिया में चलते हैं हां हां चलो चलो ।सभी बगिया की तरफ चल पड़े चुनमुन बंद पिंजरे में रो रहा था। दादा ने कहा ईश्वर को धन्यवाद दोकी पिंजड़ा तार का बना है अगर पिंजरा लकड़ी या लोहे का होता तो बड़ी मुश्किल होती। चलो सब मिलकर जल्दी से माली के आने से पहले तार काट दो ।सब मिलकर जल्दी-जल्दी तार काटने लगे कुछ देर में पिंजरा इतना कट गया कि चुनमुन के निकलने का रास्ता बन गया ।तभी माली के आने की आवाज आई चुनमुन जल्दी निकालो ।जैसे ही चुनमुन निकला सब भाग कर अपने घर पहुंच गए। माली ने देखा पिंजरा खाली है ।अरे इसमें तो एक चूहा बंद था कहां गया। माली ने पिंजरा उठाया तो देखा वह एक तरफ से कटा था ।अच्छा तो इसके साथियों ने इसे बचा लिया है। मैं कल ही लकड़ी या लोहे का पिंजरा लाऊंगा। घर पहुंच कर चुनमुन ने रोते हुए मां से कहा मां मैं कसम खाता हूं कान पकड़ता हूं अब कभी लालच नहीं करूंगा अपनी आदत के कारण मैं मरने से दो बार बचा मां अब कभी मैं गुस्सा भी नहीं करूंगा अपनी प्यारी बहन चुनिया को कभी नहीं स्ताऊगा। मां ने चुनमुन को चुप कराते हुए कहा देर से सही तुम्हें समझ तो आई । चुनियां भी चुनमुन से लिपट गई मेरे प्यारे भैया चुनमुन प्यार करते हुए कहा मेरी प्यारी गुड़िया अब हम दोनों साथ-साथ खेलेंगे हिल मिलकर रहेंगे दोनों भाई बहन का प्यार देखकर मां पिताजी मुस्कुरा उठे।

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