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Bihar news: पराली वेस्ट नहीं वेल्थ है, समुचित प्रबंधन करायें : जिलाधिकारी

संवाददाता. मोहन सिंह

बेतिया: जिलाधिकारी, कुंदन कुमार ने कहा कि पराली वेस्ट नहीं, वेल्थ है। पराली का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाय। कृषकों को इस हेतु जागरूक एवं प्रेरित किया जाय। उन्हें बतायें कि फसल अवशेष खेतों में जलाने से नुकसान ही नुकसान है। कृषक फसल अवशेष का सदुपयोग करें, खेतों में नहीं जलायें। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्रों यथा-कम्बाईन हार्वेस्टर, एसएमएस, स्टॉबेलर आदि के बारे में जानकारी प्रदान करें। जिलाधिकारी कार्यालय प्रकोष्ठ में कृषि विभाग द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निदेशित कर रहे थे। डीएपी सहित अन्य उर्वरकों की उपलब्धता की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि उक्त उर्वरकों की किसी भी सूरत में कालाबाजारी नहीं होना चाहिए, इसका विशेष ध्यान रखें। साथ ही डीएपी उर्वरक के अन्य विकल्पों का प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाय, जो डीएपी की भांति ही कारगर होते हैं।

जिलाधिकारी ने कहा कि रबी मौसम के लिए बीज वितरण कार्य सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में पूरी तरह से जीरो टॉलरेंस नीति का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। किसी भी प्रकार की अनियमितता एवं गड़बड़ी की शिकायत पर तुरंत जांच करायी जायेगी तथा दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा जारी निदेश के आलोक में कम्बाईन हार्वेस्टर संचालकों से इस आशय का शपथ लेना है कि धान की कटनी के उपरांत कृषकों को फसल अवशेष खेतों में जलाने से रोकेंगे। साथ ही अपने-अपने कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ एसएमएस मशीन को निश्चित रूप से लगायेंगे, का सख्ती के साथ अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। जो कम्बाईन हार्वेस्टर संचालक उक्त आशय का शपथ पत्र नहीं देते हैं अथवा एसएमएस मशीन तीन महीने के अंदर हार्वेस्टर में नहीं लगाते हैं, उनको चिन्हित करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित किया जाय।

जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि रबी मौसम हेतु विभिन्न प्रकार के उर्वरकों की जिले में उपलब्धता बनाये रखने हेतु कार्रवाई की जा रही है। साथ ही किसानों के बीच विभिन्न माध्यमों से उर्वरक का संतुलित उपयोग करने हेतु प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। किसान उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रहे। किसान डीएपी के स्थान पर एसएसपी एवं एनपीके मिश्रण का व्यवहार करें। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष न जलाने के प्रति जागरूकता का किसानों के बीच कृषक चौपाल लगाकर प्रचारित किया जा रहा है। साथ ही पम्फलेट, फ्लेस, बैनर आदि के माध्यम से किसानों को लगातार जागरूक किया जाय रहा है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने वाले जिले के तीन किसानों का डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण रद्द करने की कार्रवाई की गयी है।

जनवाद टाइम्स इटावा

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