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Bihar news समाज सुधार के नाम पर चौतरफा अपनी नाकामियों को छुपा रही है सरकार-माले

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया

समाज सुधार के नाम पर अपनी चौतरफा नाकामियो को छुपा रही है नीतीश सरकार,उक्त प्रतिक्रिया भाकपा माले केन्द्रीय समिति सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद  गुप्ता ने मुख्यमंत्री की सामाजिक सुधार यात्रा पर दिया है।उन्होने आगे कहा ,बिहार मे रोजगार नही है करीब एक करोड़ से अधिक बिहारी मजदुरो का देश और दुनिया के कोने कोने में जाकर रोजगार के लिए भटकना नियती बन गई है। शिक्षित  बेरोजगार  आत्महत्या कर रहे है ।यदि बिहार के लोग बाहर कमाने न जाये तो उनके परिवार के लोग भुख से मर जायेंगे।

 

 

बिहार के सभी उधोग एक एक कर मर गये।खाद समेत जुट उधोग,सिल्क उधोग व सीमेंट उधोग तक खत्म हो गया हैं।बिहार में चीनी उधोग किसानो के उपेक्षा पुर्ण रवैया से लागतार खत्म होते जा रहा है व चीनी का उत्पादन लगातार घट रहा है।खेती करने के लिए किसानो के पास खाद नही है।बरौनी का खाद करखाना बंद हो गया।स्कूलो,कालेजों में शिक्षक,अस्पतालों में डाक्टर,मेडिकल स्टाफ व विभिन्न विभागों में कर्मचारियों-पदाधिकारीयों की बहाली नही हो रही है।नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार भारत मे हर मामले मे निचले पायदान पर  आ गया है। चारो तरफ,अपराधियो, ठेकेदारों,माफीयाओ के इशारे पर शासन-प्रशासन चल रहा है।

 

Bihar news समाज सुधार के नाम पर चौतरफा अपनी नाकामियों को छुपा रही है सरकार-माले

आगे माले नेता ने कहा 16 साल पहले चुनाव पुर्व अपनी यात्रा को छोड़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सारी राजनीतिक  यात्रा सरकारी खर्च पर करते रहे हैं।अपने राजनीतिक प्रचार प्रसार सरकारी खर्च पर करना लोकतंत्र के सेहत के लिए ठीक नही है जिसे नीतीश जी ने कायम कर दिया है।आगे माले विधायक ने मुख्यमंत्री जी की समाजिक सुधार यात्रा पर कहा कि मुख्यमंत्री जी शराब बंदी की बात कर रहे हैं वह बिहार की महिलाओ और जन आन्दोलन के दबाव में करना पड़ा था ,वरना उन्होंने तो गांव गांव में शराब भट्टियों का ठेका भी दे रखा था।मजबुरी में शराब बंदी कानून बनाना पड़ा था ।पर भाजपा-जदयु के संरक्षण में शराब माफीयाओ को छुट दी जाती रही है और बिहार के बीसियों जिलों में जहरीली शराब से मौत का तांडव मचता रहा है।किसी बड़े शराब माफीया पर जनसंहार के तहत न तो मुकदमे हुए और न तो उन्हे जेल भेजा गया है।केवल शराब  की दुकान से जुड़े गांव के गरीब गुरबों व दलितों से जेल भर दिया गया है।गांव के गरीब गुरबों को न तो कोई वैकल्पिक रोजगार दिया गया और न नशा मुक्ति केन्द्रों की स्थापना की गई। वैसी स्थिति मे नतीजा के तौर पर शराब बंदी नही हो सकी। अब सरकार व भाजपा-जदयू से जुड़े नेताओ के पास शराब माफीयाओ को संरक्षण देने के लिए समाज सुधार के नाम पर ढोंग करने के अलावा और कोई दुसरा रास्ता नही है।सारा दोष  जनता पर मढना है।

 

 

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आगे माले नेता कहा की नितीश सरकार दहेज प्रथा तथा बाल विवाह पर रोक लगाने के मामले में भी ढोंग करती आ रही है।दहेज प्रथा पर रोक के लिए लडकियों को शिक्षा और रोजगार देने के मामले मे सरकारी दावे झूठे हैं।राज्य  मे छोटी बच्चियो के साथ  मुजफ्फरपुर बालिका गृह उत्पीड़न काड जैसी घटना भी होते रही है।और अभी महिलाओ, बच्चियो पर अत्याचार बढ गया है। जिसके दोषियो को बचाने मे शासन प्रशासन के लोग  लगते  रहते है।

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जनवाद टाइम्स