Bihar news चितवन नेशनल पार्क में गेंडा अधिवास के लिए बनाई जा रही ग्रासलैंड लगभग बनकर तैयार

संवाददाता मोहन सिंह
बेतिया: चितवन नेशनल पार्क के अत्यंत दुर्लभ जानवर गैंडा के मुख्य निवास स्थल चितवन नेशनल पार्क में उनके पसंदिदा आहार में सामिल घास का मैदान लगभग तैयार किया जा चुका है। इसके लिए नेशनल पार्क के अंदर करीब 3 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र मे ग्रासलैंड का निर्माण किया जा रहा है।
चितवन नेशनल पार्क के सूचना अधिकारी एवं सहायक वन संरक्षण पदाधिकारी लोकेंद्र अधिकारी ने बताया कि गेंडे का सबसे लोकप्रिय आहार घास होता है । इसलिए पार्क में विभिन्न प्रजाति के घास लगाने का काम 80 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है बाकी का 20 प्रतिशत कार्य भी इस माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा । उन्होंने आगे बताया कि पार्क में दो हजार 6 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में नया घास का मैदान तैयार किया गया है तथा पुराने 4 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में भी नई घास लगाई गई है।
सरकार द्वारा पार्क में नया घास मैदान के निर्माण के लिए तीन करोड़ 50 लाख तथा पुराने घास के मैदान के लिए एक करोड़ रूपया नियोजित किया गया है । पार्क के घास के मैदान में गैंडा का पसंदीदा घास दुब, काश, सिरू,बरुआ नरकट, थमेरा, ढ्डी जैसे 50 से भी ज्यादा प्रजाति का घास लगाया गया है । उन्होंने बताया कि पुराने घास के मैदान में उग गए मायकेनिया, मिचाता प्रजाति के झाड़ को हटा दिया गया है । इस मायकेनिया ओर मिचाता जैसे झाड़ से गैंडा को घास के मैदान में अपना आहार लेने में काफी परेशानी हो रही थी,अब इन मायकेनिया और मीचाता जैसे झाड़ को हटाने के बाद घास के मैदानों मे नया घास लगाया जा रहा है। कूल 152 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले चितवन नेशनल पार्क में करीब 10 प्रतिशत क्षेत्रों में ही घास का मैदान है। इन घास के मैदानों में मीचाहा प्रजाति के झाड़ से तथा प्रत्येक वर्ष आने वाले बाढ़ के कारण घास के मैदानों को काफी नुकसान हो रहा है । वही चितवन नेशनल पार्क के प्रमुख संरक्षण अधिकृत गणनाथ खनाल ने बताया कि पार्क में सितंबर में ही घास के मैदान का ढांचा तथा उस पर लागत का अनुमान तैयार कर लिया गया था और सभी सामग्री की खरीदारी भी कर ली गई थी। चितवन नेशनल पार्क के अंदर गैंडा के अधिवास क्षेत्र जैसे सुखीभार, भीमले,बूढ़ी राप्ती पूर्वी क्षेत्र के चपरपुली, पदमपुरा,लामिताल,घटगई, लगूना,जेनीली सहित 30 से ज्यादा स्थानों का चुनाव कर इन जगहों पर बड़े-बड़े घास के मैदान बनाए गए है। उन्होंने बताया कि पार्क में विशेष रुप से गैंडा, गौरी गाय,चीतल,मृग, जरायो,लगुना जैसे शाकाहारी जानवरों के लिए घास का मैदान तैयार किया जा रहा है । उन्होंने आगे बताया कि घास का मैदान सिर्फ जानवरों के लिए ही नहीं बल्कि जैविक विविधता के संरक्षण तथा पर्यावरण के लिए भी अति महत्वपूर्ण है। ये घास के मैदान छोटे कीड़े, फतींगे, सरीसृप से लेकर बड़े स्तनधारी प्रजाति के गैंडा, हाथी, बाघ सहित खूर वाले दूसरे अन्य जानवरों के लिए भी उनके खेलने, घूमने, धूप सेंकने तथा आराम करने के लिए अत्यंत उपयोगी होता है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया की 1970 के दशक में चितवन नेशनल पार्क के 20 प्रतिशत से ज्यादा भूभाग में घास का मैदान था लेकिन प्रकृति के चक्र के कारण तथा क्षेत्रगत एवं गुणात्मक रूप से ह्रास हो जाने के कारण अभी पार्क में 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही घास का मैदान रह गया है। पार्क मे घास के मैदान के व्यवस्थापन हो जाने से नेशनल पार्क के अंदर पाए जाने वाले अत्यंत दुर्लभ जीव गैंडा का मरने का क्रम भी काफी कम होगा यह हमें विश्वास है,इस वर्ष करीब 11 महीना के अंदर में चितवन राष्ट्रीय निकुंज में 31 गैंडा की मृत्यु हो गई है। जिसमें से 27 गैंडा की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है। पिछले वर्ष की गई गणना में नेपाल में बचे 792 गेंडे में से कूल 694 गैंडों की गणना चितवन नेशनल पार्क में की गई थी ।