Bihar News : राष्ट्रीय व अंतर राष्ट्रीय साइबर अपराधियों का हब बना पश्चिम चम्पारण का बेतिया
संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
देश डिजिटल क्रांति की तरफ अग्रसर हो रहा है। हमारे जीवन में डिजिटल लेन देन की प्रक्रिया काफी तेजी से विकसित हो रही है। ऐसे में अपराधियों की अपराध की प्रवृति में भी परिवर्तन हुआ है। अपराधी भी अब डिजिटल रूप में डिजिटल क्राइम यानि साइबर अपराध को आसान मार्ग समझकर बड़ी तेजी से इसमें अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। जहाँ सबकी लाइफ स्टाइल से लेकर बैंकिंग तक अब नेट पर आधारित हो चुकी है। ऐसे में यदि आपकी व्यक्तिगत जानकारियों में कहीं से भी चूक हुई तो आप देखते ही देखते साइबर के शिकार हो जाएंगे। सूत्र से मिली जानकारी बड़ी हैरान व आश्चर्य करने वाली यह है कि इन साइबर ठगी व अपराध के जो भी लेन देन होते हैं वो जिला व राष्ट्रीय स्तरीय ना होकर अंतराष्ट्रीय स्तर (पाकिस्तान) से तार जुड़े होते हैं, जिसे नेपाल, भूटान व पाकिस्तान में बैठे एजेंट बखूबी हवाला के माध्यम से संचालित करते हैं।
हवाला व साइबर के कारोबार को धड़ल्ले से चलाने के लिए इन विदेशी साइबर एजेंटों ने सीमावर्ती क्षेत्र के रूप में पश्चिम चम्पारण के बेतिया को सुरक्षित प्रक्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप जिला का मझौलिया थाना के अंतर्गत आने वाले जौकटिया, बखरिया, लाल सरैया, गुरचुरवा, हरिपकड़ी आदि कई गांव साइबर अपराधियों और ठगों का हब बनता गया, जिसमें जौकटिया गांव राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध में अपना बहुत बड़ा पहचान बना लिया है, जिसका प्रमाण है कि जिला के अलावे देश के विभिन्न राज्यों पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि में जो भी प्राथमिकी दर्ज है उसके मुख्य आरोपी जिले के मझौलिया अंतर्गत जौकटिया गांव के ही होते हैं। उदाहरण के तौर पर अमृतसर मच्छिता रोड थाना में दर्ज कांड संख्या 114/22 और महाराष्ट्र साइबर पोलिस ठाणे ब्रीड थाना कांड संख्या 40/22 हैं। प्राप्त पड़ताल में दो कांडों की जानकारी हुई परन्तु जांच व पड़ताल किया जाए तो सभी राज्यों में साइबर अपराध की प्राथमिकी दर्ज है और उसके अभियुक्त बेतिया के ही मझौलिया थाना क्षेत्र के हैं, जिसके कारण आए दिन देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस बेतिया मझौलिया थाना आती है और छापेमारी और अनुसंधान के अंतर्गत पूछताछ कर गिरफ्तारी भी करती है।
ऐसा नहीं है कि दूसरे राज्यों की पुलिस ही इन अपराधियों पर कार्यवाई करती है बल्कि बेतिया पुलिस ने भी कई बार छोटी बड़ी कार्यवाही इन साइबर अपराधियों पर की है, जिसमें लाखों करोड़ों का ठगी करने का लेन देन, सैकड़ों मोबाइल, सैकड़ों एटीएम, लाखों नगद, दर्जनों गिरफ्तारी और सैकड़ों पर नामजद व अज्ञात प्राथमिकी दर्ज हुई है। पर सबसे बड़ी बात यह है कि बेतिया की पुलिस के कुछ अधिकारी कार्यवाही करते करते इन साइबर अपराधियों के ही संरक्षक बन बैठे हैं। जहाँ करोड़ों की साइबर ठगी कर अर्थ की गंगा बहती हो वहाँ अधिकारी के ईमानदार डूबकी से ही जौकटिया का साइबर ठगी का धंधा जोर पकड़ता गया और अब यह देश के सभी राज्यों का मुख्य हब बन गया। बेतिया के साइबर अपराधियों से मिली भगत की यदि अन्य जांच एजेंसी जांच करें तो कई एक अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हो सकती है। जिन्होंने इन साइबर अपराधियों से अपना मासिक तक तय कर रखा था और लाखों करोड़ों की मासिक रकम की साइबर ठगों से उगाही तक कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार कई बार साइबर अपराधियों को पकड़ा भी गया पर मोटी रकम की पेशकश देकर अपराधी छूट भी गए।
हालांकि इन साइबर अपराध की जानकारी मझौलिया की जनता द्वारा देने के बाद भी थाना के कुछ अधिकारी समझौता कराने के प्रयास भी किए और जब इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को किया तब जाकर आनन फानन में प्राथमिकी दर्ज किया गया परन्तु मुख्य आरोपियों को बचाते हुए कार्यवाही किया गया। ऐसे में पुलिस व साइबर अपराध की मिलीभगत पूर्व के दिए आवेदनों से भी स्पष्ट होता है जिसकी जांच आज तक किसी वरीय पदाधिकारियों ने शायद अब तक नहीं किया जिससे चर्चित कथित पुलिस के अधिकारी बचते रहें और साइबर अपराधियों का ठगी व हवाला का कारोबार फलता फूलता गया और बेतिया को पहचान देता गया। शिकायतकर्ता ने दिन तारीख समय तक बता कर मझौलिया थाना के सीसीटीवी जांच का आवेदन तक दिया था पर वो भी ठंडे बस्ते तक ही सीमित रहा।
चर्चाओं का बाजार यहां तक है कि साइबर धंधेबाजों को फायदा पहुंचाने के लिए कथित पुलिस अधिकारी उनके साथ अपना संबंध बनाकर रखते हैं और उनके साथ उठ बैठ और मिलना जुलना तक रखते हैं। ताकि साइबर कारोबारियों को संरक्षण मिलता रहें। चर्चा यह भी है कि यदि आवश्यकता होती है तो कथित अधिकारी दूसरे राज्यों में जाकर पैरवी तक करते हैं बचाने के लिए और नाम तक निकलवा देते हैं अपने पद और पहचान के जरिए।
अपुष्ट समाचार से यह भी पता चला कि हरिपकड़ी में जाली नोटों के धंधेबाजों में वृद्धि भी होने लगी है। वहीं जौकटिया के साइबर अपराधियों का कनेक्शन पाकिस्तानी एजेंसियों से भी मिलने की सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है, जो कि सीमावर्ती क्षेत्रों का फायदा उठाकर नेपाल, भूटान और चाइना बार्डर तक विदेशी एजेंटों से मिलना जुलना व सम्पर्क बनाए रखते हैं।
हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि मझौलिया के एक थानाध्यक्ष के कार्यकाल में साइबर अपराध में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उनके हटने के बाद ही बेतिया के अन्य पुलिस अधिकारियों के द्वारा जब साइबर अपराधियों पर कार्यवाही शुरू हुई तो 70 करोड़ का साइबर लेन देन, 200 से अधिक एटीएम, 50 से अधिक आई फोन, 2 लाख नगद और 80 अभियुक्तों पर प्राथमिकी दर्ज करने की कार्यवाही हुई जो कि कथित थानाध्यक्ष के हटने के चार माह में ही सफलता बेतिया पुलिस को मिली। जिसमें मझौलिया थाना कांड संख्या 387/22, 468/22, 549/22, 575/22, 593/22, 646/22 दर्ज प्रमाण के रूप में है। यह मझौलिया थाना के लिए पहला बार ऐसा हुआ कि लगातार बेतिया पुलिस ने साइबर अपराधियों और अपराध पर मास्टर स्ट्रोक किया और सफलता भी मिला। इन चार माह की सफलता के मद्देनजर यदि मझौलिया थाना के सभी थानाध्यक्षों के कार्यकाल में हुए साइबर अपराध की कार्यवाही समीक्षा के दायरे में आ जाए तो कईयों की संलिप्तता उजागर हो सकती है।
पाकिस्तानी काॅल सेंटर और पाकिस्तानी होल्डरों से मिलकर साइबर अपराधी इनाम का लालच, उपहार का लालच, सस्ती ब्याज दर पर ऋण देने का लालच, गूगल पर विभिन्न काॅल सेंटर के नम्बरों के माध्यम से और खाता व अन्य जानकारी हैक कर आदि तरीकों से आपका नगद दूसरे खातों में स्थानांतरित कर देते हैं। जिन खातों में पैसा स्थानांतरित किया जाता है वे खाते गरीब, मजदूरों के होते हैं जिनके बैंक खाते खुलवाकर उन्हें मासिक या लेन देन पर प्रतिशत तय कर उनके खाता के पासबुक, एटीएम और पिन लेते हैं और सारा हवाला का पैसा और ठगी का अपराध इन जैसों के खातों में कर हवाला के माध्यम से सीवान, गोपालगंज, पटना, लखनऊ आदि जगहों के साइबर एजेंटों के माध्यम से विदेशों में पैसा भेजा जाता है और इन्हीं साइबर अपराध के पैसों से आतंकवादी गतिविधियों को विदेशों में बैठे विदेशी एजेंट आसानी से संचालित करते रहते हैं। जिले से सटे नेपाल का फायदा यहां के साइबर अपराधी पूरी तरह से उठाते हैं और जब कार्यवाही होती है तो नेपाल के वीरगंज, हथौड़ा और पोखरा में जाकर अपने साइबर धंधा को अंजाम दिया जाता है।
सूत्र बताते हैं कि विगत दस वर्षों में मझौलिया थाना क्षेत्र साइबर अपराध की दुनिया में अपनी राष्ट्रीय पहचान बना चुका है, जहाँ से विदेशी अपराधियों के तार जुड़े हुए हैं। ऐसे में बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण जिलान्तर्गत बेतिया का मझौलिया थाना क्षेत्र की उच्च स्तरीय जांच एजेंसियों से जांच होना अति आवश्यक हो जाता है कि आखिर इतनी तेजी से कैसे बेतिया साइबर अपराधियों का हब बनकर देश भर में अपना पहचान बना लिया। जब बेतिया पुलिस के जानकारी में रहा तो उनके द्वारा किस तरह की कार्यवाही हुई कि रूकी नहीं और दिनदुना रात चौगुना के कहावत को चरितार्थ करता गया। आखिर कौन कौन से अधिकारी की संलिप्तता रही जिससे अपराधी बेखौफ रहें। साथ ही किन अधिकारियों ने इस साइबर अपराध की बहती गंगा में हाथ धोया और करोड़ों अरबों रूपया कमाया और बेशकिमती संपत्तियों के मालिक बन गए इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। साइबर अपराधियों के कथित संरक्षकों के कारण क्षेत्र में दहशत का माहौल है, यदि समय रहते सरकार और प्रशासन के द्वारा पूर्ण विराम नहीं लगा तो आने वाले समय में स्थिति ऐसी भयावह हो सकती है जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
साइबर अपराध के प्रति जिला पुलिस सोशल मीडिया और पोस्टर बैनर के साथ समय समय पर शिविरों के माध्यम से जागरूकता फैलाती रही है परन्तु शातिर ठगों के द्वारा तमाम जागरुकता के पश्चात भी अपने कारनामों को अंजाम दे दिया जाता है, जिसका प्रमाण बढ़ते हुए साइबर अपराध के मामले हैं जिसे पूर्ण रोक लगाने में सरकारी व प्रशासनिक तंत्र विफल साबित हो रही है।