Azamgarh News: परंपराओं के निर्वहन में कोरोना काल में स्थापित दुर्गा प्रतिमा पंडालों व मेले में मिला जुला असर

संवाददाता रवीन्द्र नाथ गुप्ता
अतरौलिया।विजयदशमी के अवसर पर सभी जगहों पर मेला लगता है परन्तु तीन दिवसीय लगने वाले अतरौलिया का ऐतिहासिक मेला पूर्णिमा के दिन लगता है, मगर इस वर्ष कोविड़ गाईड लाइन के बंदिशों के चलते मूर्ति समितियों द्वारा मेला ना लगाने का निर्णय लिया गया था, सिर्फ मूर्तियां स्थापित कर पूजा समितियों ने अपनी परंपराओं का निर्वहन करने का निर्णय लिया।जिसकी वजह से पूजा समितियों द्वारा मेला ना लगाने के निर्णय पर कुछ लोगों ने राहत की सांस ली तो वही कुछ लोगो मे मायूसी दिखी।दुकानदारो में काफी उदासी देखी गयी तो वही पटरी दुकानदार भी बहुत कम दिखे। मेले में प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रही ।पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस बराबर चक्रमड करती रही, कहीं भी कोई अप्रिय घटना ना घटे इसके लिए कई थानों की फोर्स भी मौजूद रही तो वही महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को देखते हुए महिला कांस्टेबल भी भारी संख्या में मेला परिसर में तैनात कर दिया गया था। 2 दिन के मेले में कोई रौनक देखने को नहीं मिली तो वही दुकानदारों में भी काफी मायूसी छाई रही। जहां दूरदराज से लोग आकर पटरियों पर अपनी दुकानें सजाते हैं वही कोरोना काल में सिर्फ गिनी चुनी दुकानें ही देखने को मिली ।लोग अंदाजा लगा रहे है कि मेले के तीसरे दिन खरीदारी और लोगों की भीड़ हो सकती है। वही सभी मूर्ति समितियों द्वारा कोविड-19 का पालन भी किया जा रहा है ।लोगों ने तर्क भी दिया कि कोरोना काल में ही बिहार चुनाव हो रहा वहाँ जनसभा हो सकती है तो ऐसे छोटे-मोटे मेलों का आयोजन भी शासन के दिशा निर्देशों पर किया जा सकता था,मगर शासन ने कोविड़ नियमो का हवाला देकर मेले का रंग फीका कर दिया। अतरौलिया में पिछले कई दशकों से विजयदशमी को लगने वाला मेला पूर्णिमा के दिन ही लगता है और काफी दूर दूर तक लोगो मे इसकी पहचान है मगर इस वर्ष कोरोना वायरस के चलते शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए मेला ना लगाकर सिर्फ मूर्तियां स्थापित कर अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हुए अपने आने वाली पीढ़ियों को सभी मूर्ति समितियों द्वारा एक संदेश देने की कोशिश की गई। जिसमें स्थाई तथा पटरी दुकानदारों के हाथ सिर्फ मायूसी ही लगी ।क्योंकि जब मेले में कोई आएगा ही नहीं तो दुकान लगाने का मतलब ही क्या होता है।इस वर्ष सादगी के साथ खुले स्थानों पर छोटी मूर्तियां स्थापित कर दुर्गा प्रतिमा पूजा अर्चना की जा रही है। अधिकतर मुख्य रास्तों चौराहों पर स्थापित होने वाली मूर्तियां इस बार स्थापित ही नहीं की गई जो मूर्तियां खुले मैदान व मुख्य मार्गो से हटकर रखी जाती थी वही मूर्तियां स्थापित की गई। अतरौलिया कस्बे में लगभग दो दर्जन मूर्तियां स्थापित की जाती थी मगर इस बार मात्र 10 मूर्तियां ही रखी गई है । वही जहां पूरा नगर पंचायत विद्युत झालरों तथा सजावट से रोशन रहता था वही गिनी चुनी मूर्तियों के पास ही सजावट तथा रोशनी की व्यवस्था की गई है। तीन दिवसीय मेले के दूसरे दिन भी किसी प्रकार की भीड़ नहीं दिखी तो प्रशासन ने भी चैन की सांस ली ।पूरे मेला क्षेत्र में प्रशासन की चौकसी बढ़ा दी गई थी कहीं से भी कोई अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला ।वही ऐतिहासिक मेले का आज तीसरा दिन भी जारी है।