सम-सामयिक आलेख वर्तमान परिपेक्ष में भारत- रूस संबंध

सुनील पांडेय (कार्यकारी संपादक)
स्वाधीनता के पश्चात यदि हम भारत -रूस संबंधों का आकलन करें तो रूस प्रारंभ से ही भारत का अभिन्न मित्र रहा है।कमोबेश दोनों देश के संबंध कुछ परिस्थितियों को छोड़कर लगभग प्रगाढ़ ही रहे हैं। ऐसा आकलन किया जाता है हाल हीे के कुछ बरसों में भारत की विदेश नीति अमेरिकोन्मुख हो रही है ।इससे कुछ विदेश नीति विश्लेषक यह अनुमान लगाने लगे थे कि भारत – रूस संबंधों में अब वह प्रगाढ़ता नहीं रही है जो स्वाधीनता के बाद लगभग छः दशक तक रही। वर्ष 2021 के आखिरी दिसंबर माह में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की संक्षिप्त भारत यात्रा ने विदेश नीति विश्लेषकों के इस आक्षेप पर विराम सा लगा दिया है। भारत- रूस 21वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के सिलसिले में रूसी राष्ट्रपति पुतिन भले ही अत्यंत अल्प समय के लिए भारत आए ,लेकिन कोविड-19 महामारी के प्रसार के लगभग डेढ़ वर्ष बाद हुई उनकी इस यात्रा से भारत- रूस के रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बना दिया है।
इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।रूस पहले भी भारत का अभिन्न मित्र मित्र रहा है और आज भी है।रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय पर हुई जब हिंद- प्रशांत क्षेत्र में तनाव सा माहौल व्याप्त है। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के पश्चात संदेह और आशंका का माहौल पूरी तरह से दिखाई दे रहा है। यही नहीं हमारा अवसरवादी पड़ोसी देश चीन अपनी विस्तार वादी नीतियों को निरंतर अमलीजामा पहना रहा है। अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर लगातार बदलते समीकरण को देखते हुए रूस और भारत एक दूसरे के बेहद भरोसेमंद साझीदार हैं । इस बात की पुष्टि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस उक्ति से होती है कि भारत रूस दोनों देशों की रणनीतिक साझीदारी के दो दशक पूर्ण हो चुके हैं।
वही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस बात की तस्दीक करते हुए कहा कि आतंकवाद ,मादक द्रव्य पदार्थ की तस्करी एवं संगठित अपराध के खिलाफ दोनों देशों का रुख लगभग एक समान है। इतना ही नहीं दोनों देशों के वैश्विक एजेंडे को लेकर एक दूसरे को भविष्य में भी सहयोग करते रहेंगे। हमारे दूसरे पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा अनवरत सीमा पर जारी आतंकवाद के मद्देनजर पुतिन कि इस स्वीकारोक्ति का महत्व समझा जा सकता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस भारत यात्रा में दोनों देश के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही साथ दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग 2031 तक बढ़ाने पर भी मुहर लगी। इसके अलावा तीन और रक्षा समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए।इसी कड़ी में भारत और रूस दोनों देश अपने रक्षा संबंधों को और अधिक आगे बढ़ाते हुए रक्षा क्षेत्र से जुड़े 4 समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए ।इनमें अमेठी में कोरवा में भारत एवं रूस की संयुक्त साझेदारी में छह लाख से अधिक एके – 203 राइफले बनाने का समझौता भी शामिल है। हालांकि दोनों देशों के बीच एक दूसरे को सैन्य सुविधाएं प्रदान करने का समझौता नहीं हो पाया क्योंकि कुछ बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई । हमें उम्मीद करनी चाहिए भविष्य में इन मुद्दों पर भी भारत और रूस दोनों मिलकर कोई सकारात्मक हल निकाल लेंगे।भारत रूस दोनों अपने संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने की कड़ी में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के मध्य टू प्लस टू वार्ता की भी शुरुआत हुई । गौरतलब है कि इसे पूर्व भारत का ऐसा रिश्ता अमेरिका , जापान एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ ही रहा है । सामरिक दृष्टि के अलावा आर्थिक दृष्टि से दोनों देशों के मध्य कई समझौते किए गए।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सफल भारत यात्रा का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है की प्रधानमंत्री मोदी की यह स्वीकारोक्ति की पिछले कुछ दशकों में दुनिया में भू -राजनीति समीकरणों समेत कई बुनियादी बदलाव हुए हैं, लेकिन भारत रूस की दोस्ती आज भी अटूट है। भारतीय प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से दोनों देशों के सामरिक एवं आर्थिक संबंध प्रगाढ़ हुए हैं । इतना ही नहीं रूसी राष्ट्रपति ने भी कहा हम भारत को एक बड़ी ताकत ,एक दोस्ताना मुल्क और समय की कसौटी पर खरे दोस्त रूप में देखते हैं ।हमारे संबंध आगे बढ़ रहे हैं। कुल मिलाकर व्लादिमीर पुतिन के भारत यात्रा से दोनों देशो़ं के संबंध पहले से और अधिक प्रगाढँ हुए हैं इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।