तीर ए नज़रदेशविदेशसम्पादकीय

भारत चीन संबंधों में सीमा विवाद को लेकर तनाव में वृद्धि

 

सुनील पांडेय  : कार्यकारी संपादक

स्वाधीनता के पश्चात भारत एवं चीन के मध्य संबंधों की बात करें तो भारतीय नेताओं की आदर्शवादिता ,स्वप्नदर्शिता एवं अदूरदर्शिता तथा चीनी नेताओं की विश्वासघात की कहानी सर्व प्रसिद्ध है । चीन के प्रति भारत का दृष्टिकोण सदैव ही मित्रता पूर्ण रहा है ,लेकिन चीन को जब -जब मौका मिला है भारत के पीठ में खंजर ही घोपा है । हाल ही में भारत का एक शक्ति के रूप में उभरना ,उसका आर्थिक दृष्टि से संपन्न होना और राजनीतिक सुदृढ़ता प्राप्त करना चीन के लिए ईर्ष्या द्वेष एवं वैमनस्य का मूलभूत कारण है।

चीन द्वारा विगत 2 वर्षों से लगातार भारतीय सीमा का अतिक्रमण जारी है। वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में करीब 75% घटनाओं में वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 के पश्चात भारतीय क्षेत्र लद्दाख में चीन की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2020 के विगत 5 माह में चीन की तरफ से सीमा उल्लंघन की 170 घटनाएं अब तक हुई हैं। इनमें से 130 घटनाएं लद्दाख में हुई हैं। यह बात भारतीय दृष्टिकोण से चिंता का विषय अवश्य है।
हाल ही में भारत ने अपने क्षेत्र में चीन के दुस्साहस का कड़ा विरोध किया है। .फरवरी माह से अब तक हुए घटनाक्रमों की बात करें तो अमेरिका द्वारा चीन पर कोरोनावायरस के संदर्भ में महा शक्तियों को गुमराह करने को लेकर कठोर कार्रवाई करने की बात करने पर चीन पूरी तरह से बौखला गया है।उसकी बौखलाहट का नतीजा है की चीन भारत की लद्दाख सीमा का अतिक्रमण करना चाहता है। चीन द्वारा लगभग एक माह से सीमा संबंधी संघर्ष जारी है । इस दौरान पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्र में भारी संख्या में चीनी सैन्य बल जमा हुए हैं । पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत एवं चीन के सैन्य बलों में तनातनी जारी है । लद्दाख सीमा पर मौजूदा तनाव एवं चीन की चालाकी को देखते हुए भारत ने भी अपने सैन्य टुकड़ियों को इस सीमा पर बढ़ा दिया है तथा दोनों पक्ष अपनी-अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में जुटे हुए हैं। इसी बीच सीमा विवाद संबंधी समाधान को लेकर दोनों देशों की कमांडिंग ऑफिसर एवं ब्रिगेड कमांडरों के मध्य वार्ता भी हुई है। आगामी 6 जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की एक बैठक होनी है जिसमें इस सीमा संबंधी विवाद पर विस्तृत बातचीत होने की संभावना है। दोनों देशों के मध्य कूटनीतिक संबंधों को देखते हुए विगत कुछ वर्षों में जिस तरह द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से तनाव कम किए गए हैं उससे यह कयास लगाया जा रहा है कि शायद इस बार भी परस्पर बातचीत से समाधान निकल आये । लेकिन यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या चीन के सैनिक अधिकारी उस जमीन को खाली करने के लिए तैयार हो जाएंगे जो उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी )का उल्लंघन कर हथिया लिया है ।अमेरिका भारत को चीन से सतर्क रहने की पहले ही चेतावनी दे चुका था । चीन सीमा पर कई मोर्चा खोलकर भारत पर दबाव बनाए रखना चाहता है। भारत स्थित पर नजदीकी से नजर रख रहा है। इसी के तहत कल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य बातचीत को तथा दोनों देशों के मजबूत दोस्ती को चीन को एक संदेश के रूप में देखा जाना चाहिए। हाल ही में चीन की वैश्विक स्तर पर घेराबंदी के बीच भारत अमेरिका सामरिक व रणनीतिक भागीदारी तेजी से बढ़ी है। वैसे भारत सीमा विवाद को आपसी सहमति से हल करने का इच्छुक है फिर भी चीन यदि कोई दुस्साहस करता है तो भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। चीन को यह जान लेना चाहिए कि पहले के भारत और आज के भारत में जमीन आसमान का अंतर है। भारत अपनी सीमा की रक्षा करना और संबंधित देश को उसी की भाषा में जवाब देना अच्छे से जानता है। चीन जितनी जल्दी यह बात समझ ले उसके लिए अच्छा होगा।

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