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पुण्यतिथि पर विशेष: मिसाइल मैन डॉ० कलाम एक परिचय

श्वेतांक कृष्ण

डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर में हुआ था।इनकी माता का नाम असिअम्मा तथा पिता का नाम जैनुलाब्दीन था।इनके पिता मछली पकड़ने का कार्य करते थे। इनका बचपन बड़े अभावों और कठिनाइयों में बीता । परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी इसलिए अपनी शिक्षा एवम परिवारके भरण पोषण हेतु रेलवे स्टेशन पर ये अखबार बेचा करते थे। एक बार इनके विज्ञान के शिक्षक ने विमान उड़ाने की प्रक्रिया बताई तब से इन्होंने अपने मन में संकल्प लिया कि मैं विमान उड़ाऊंगा ।इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा रामेश्वरम के प्राइमरी स्कूल से प्राप्त की थी।इन्होंने सन् 1954 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की।

 

मिसाइल मैन डॉ० कलाम एक परिचयइसके बाद मद्रास के एयरो स्पेंस इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात नौकरी के लिए वायुसेना में इंटरव्यू दिया तथा डी.आर. डी.ओ.में भी आवेदन दिया। वायुसेना ( एयरफोर्स ) का इंटरव्यू देहरादून में हुआ। इन्हें नौवां स्थान प्राप्त हुआ लेकिन केवल 8 लोगों का ही चयन होना था। अतः इनका चयन नहीं हो सका।डी.आर.डी.ओ. में एयरोनॉटिकल इंजीनयर की डिग्री प्राप्त करने के बाद सहायक वैज्ञानिक के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। अपने कड़ी मेहनत एवम प्रतिभा के बल पर भारत को अंतरिक्ष मे पहुंचाने एवम मिसाइल छमता प्रदान करने का श्रेय इन्हें दिया जाता है। इन्हें भारतीय मिसाइल प्रणाली का जनक एवम मिसाइल मैन के उपनाम से संबोधित किया जाता है। एक सहायक वैज्ञानिक के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले डॉ० कलाम बाद में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित करते हुए भारत के 11वें राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर पहुंचे।

 

मिसाइल मैन डॉ० कलाम एक परिचयविज्ञान के छेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु इन्हें ‘पद्मभूषण’एवम ‘भारतरत्न ‘जैसे सर्वोच्च सम्मान से विभूषित किया गया।इन्होंने कई मत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना भी की जिनमें मुख्य रूप से “विंग्स ऑफ़ फ़ायर” ” इग्नाइटेड माइंडस” विशेष चर्चित हैं। इनके सादगीपुर्ण जीवन एवम ईमानदारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डॉ ० कलाम की संपत्ति के रूप में 2,500 पुस्तकें, 6 पैंट, 4 शर्ट, 3 सूट,1 पद्मश्री, 1 पद्मभूषण,1 भारतरत्न, 16 डॉक्टरेटऔर एक फ्लैट दान में दिया , न कोई बैंक बैलेंस, न टीवी न कार। इन्होंने अपने जीवनकाल में 8 साल की पेंशन भी गांव की पंचायत को दान दे दी। गीता और कुरान में समान आस्था रखने वाले इस महान शख्शियत का 27 जुलाई 2015 के दिन असम की राजधानी शिलांग के भारतीय प्रबंध संस्थान ( आई.आई.एम.) में
‘रहने योग्य ग्रह विषय’ पर व्याख्यान देते समय मंच पर ही ह्रदयघात (हार्ट अटैक) हुआ और आनन -फानन में सायं 6:30 बजे बेधानी अस्पताल ले जाया गया, जहां इनका प्राणान्त (निधन )हो गया।आज के दिन ही भारत का यह महान सितारा सदा सदा के लिए हम सब को छोड़ कर अनंत आकाश में वीेलीन हो गया ।अंत मे इस महान वैज्ञानिक एवम कर्मयोगी को विनम्र श्रद्धांजलि।

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