Breaking Newsउतरप्रदेशकरियर & जॉबदेश

समीक्षा : नई शिक्षा नीति में 35 साल बाद आमूलचूल बदलाव

 

सुनील पांडेय : कार्यकारी संपादक

New education policy - Sunil Pandey Prayagraj

भारतीय शिक्षा प्रणाली में 35 साल लंबे अंतराल के बाद महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। इस शिक्षा व्यवस्था को नूतन ढंग से 21वीं शताब्दी के जरूरत के हिसाब से ढाला गया है । इसके अंतर्गत प्राथमिक स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव को मंजूरी प्रदान की गई है। जहां एक तरफ तोता रटन्त पद्धति के दौर से निकलकर ज्ञान विज्ञान एवं बौद्धिक कौशल पर जोर दिया गया है।

वहीं दूसरी तरफ मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर पुनः शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। गौरतलब है कि 1985 के पूर्व इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय था जो बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया ।

केंद्र सरकार इस वर्ष इस नई शिक्षा नीति को अमल में लाने की तैयारी में है।
भारतीय शिक्षा को एक नूतन दिशा देने हेतु पीएम नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में 29 जुलाई ,2020 को हुई कैबिनेट मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी प्रदान की गई है।

इस शिक्षा नीति में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इसके अंतर्गत पाठ्यक्रम को मूल मुद्दों तक ही सीमित रखा जाएगा साथ ही ज्ञान परक वस्तुओं एवं कौशल विकास को इसमें संबद्ध किया जाएगा।

इस नहीं शिक्षा नीति के पश्चात प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक जो फेरबदल हुए हैं, उनमें प्राथमिक शिक्षा के ढांचे को एक नूतन रूप प्रदान किया गया है। वर्तमान समय में इसके अंतर्गत प्री प्राइमरी को भी संबद्ध कर दिया गया है। इसके पाठ्यक्रम में भी बड़े फेरबदल की बात कहीं गई है। इसको लेकर एनसीईआरटी
अपना काम कर रहा है। साथ ही साथ स्कूल शिक्षा से बाहर हो चुके लगभग दो करोड़ बच्चों को पुनः स्कूली शिक्षा से जोड़ा जाएगा। इसके अंतर्गत कक्षा 10 एवं कक्षा 12 में अनुत्तीर्ण हो चुके छात्रों को भी शामिल किया गया हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि अब 12 की जगह 15 वर्ष स्कूली शिक्षा होगी जिसमें स्कूली शिक्षा के अंतर्गत 3 साल की नई फाउंडेशन शिक्षा को जोड़ा गया है। 3 साल से 6 साल के बच्चों के लिए सामान्य पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है। 6 साल से 9 साल के बच्चों हेतु साक्षरता और संख्या ज्ञान पर जोर दिया गया है। वर्तमान शिक्षा नीति में भारत की जीडीपी की 6% खर्च करने की तैयारी है जो पूर्व में 4.43% थी। इसके अलावा 8 भाषाओं में भी कोर्स को उपलब्ध कराया जाएगा ।

सबसे बड़ी बात यह है की लगभग दो करोड़ बच्चों को पुनः स्कूली शिक्षा से जोड़ने का नई शिक्षा नीति में लक्ष्य रखा गया है जो काबिले तारीफ है।
यहां यह बात ध्यान देने योग्य है आखिरकार 34 वर्ष के दीर्घ अंतराल के पश्चात शैक्षिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव के लिए केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है,यह एक सराहनीय कदम है।

वर्तमान में पीएम मोदी के नेतृत्व में यह दूसरा कार्यकाल है ,शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाने में काफी वक्त लगा यह बात सोचने का विषय है। चलिए देर आए दुरुस्त आए की नीति के तहत हम शिक्षा नीति का स्वागत करते हैं। इसके साथ ही साथ हम उम्मीद करते हैं की भारत के विभिन्न राज्य एवं उनमें स्थापित सरकारें दलगत राजनीति ऊपर उठकर इस शिक्षा नीति को आत्मसात करेंगी। तभी शिक्षा नीति का उद्देश्य सफल होगा।

यहां यह बताना आवश्यक है की इस शिक्षा नीति में कई ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो लागू होने के बाद ही पता चलेंगी की इससे भारतीय शिक्षा प्रणाली को लाभ हुआ है अथवा हानि । अभी इस पर प्रतिक्रिया देना तथा अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी।

जनवाद टाइम्स

जनवाद टाइम्स – हिंदी का प्रमुख समाचार माध्यम, UP , बिहार और दिल्ली-एनसीआर की ताज़ा और निष्पक्ष खबरें। राजनीति, समाज, खेल और अर्थव्यवस्था पर गहन कवरेज

Related Articles

Back to top button
जनवाद टाइम्स