राजनीतिक दल – (कंफर्ट जोन ) : डॉ धर्मेंद्र कुमार

लेखक : डॉ धर्मेंद्र कुमार
दोहा, छंद ,सवैया ओज, श्रंगार, हास्य, करुण, किंबदंती, हिंदी या अंग्रेजी, फ्रेंच ,आकर्षण, प्रतिकर्षण ,गुणनफल आवेग, त्वरण , संवेग ,वेद ,पुराण स्मृतियां, कवियों के कलाम, लेखक की लेखनी, शिक्षा ,चिकित्सा ,घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी ,मल्लयुद्ध तथा अधिक से अधिक भाषाओं के ज्ञान से परिपूर्ण व्यक्ति को योग्य कहा जाता था l संवैधानिक आंदोलन की हिस्सेदारी तथा निर्मित संविधान का अधिकाधिक ज्ञान होना भी प्रवीणता तथा चतुराई, अकलमंद की श्रेणी में आता था किंतु वर्तमान परिस्थितियों की मांग ने अब मंथन अध्ययन को नकार दिया और एक नवीन युगीन विचारधारा का आकस्मिक आगमन हो गया है जिसमें बिना पढ़ा लिखा विद्वान कहा जाएगा और पढ़ा-लिखा विद्वान -मूर्ख l
सच्चाई यह है कि आपके पास चापलूसी इकट्ठा करने की अधिकाधिक क्षमता होनी चाहिए गाड़ी, रुतबा, गले में चैन ,राइफल, पिस्टल ,पैसा मौज उड़ाने के लिए होना चाहिए l यदि कोई आप के खिलाफ कुछ कहे तो उसका मुंह बंद कर दो या सांसे बंद कर दो l
सभी राजनीतिक दल आजादी के बाद ऐसे लोगों के लिए कंफर्ट जोन साबित हुए हैं और इन दुर्दांत लोगों ने बिना दुर्दांत अपराधी बने खुद को सेवादार साबित कर दियाl अब राजनीति पर इन्हीं की दावेदारी व कब्जा है l सरकार से बाहर होने पर यह तड़पढ़ाते हैं l उनका आशय समाज सेवा न होकर सिर्फ उनका ओहदा छड़ना होता है l किंतु समाज सेवा का मुलम्मा इनके विचारों के ऊपर दिखाई पड़ता है l
सब जानते हैं कि यह सत्यानाशी हैं फिर भी विधानसभा और संसद में इन्हीं की भरमार होती है सही मायने में गरीब शिक्षित समझदार योग्य और अनुभवी सत्ता सुख से सदैव वंचित रहे हैं और नाना प्रकार के कष्ट सहन कर चुपचाप शांत भाव से सहन करने के लिए मजबूर होते रहे हैं l
दलीय आधार पर किया गया कल्याण सर्व कल्याण की श्रेणी में न आकर दोषपूर्ण कल्याण की झूठी कहानी हैl
आवाज दो हम एक हैं -जैसी उक्ति सिद्ध के लिए हमें फिर से मंथन करना होगा l