Bihar News-इस्माईलपुर बिदूपुर में हो रहे सात दिवसीय श्री दिव्य राम कथा के दूसरे दिन की शुरुआत कथा व्यास पीठ और भगवान की पूजा के साथ हुई

संवाददाता -राजेन्द्र कुमार
वैशाली /बिदुपुर इस्माईलपुर । इसके बाद जगतगुरु रामानुजाचार्य पूज्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने चमत्कारी बाबा जो लवंग, फूल, भभूत इत्यादि निकालते है आपके जाते ही आपके घर के आगे पीछे क्या है इत्यादि बताते है उनके बारे में कथा पीठ से लोगों को कहा कि ऐसे बाबाओं से हमेशा सावधान रहें। ये प्रेत विद्या है इन बाबाओं पर देवी देवताओं का कोई आशीर्वाद नहीं होता है। ये प्रेत विद्या दिखाने वाले बाबा खुद नरक में जाएंगे और उनके कथनों पर चलने वाले भी नरक में चले जायेंगे। धर्म के नाम पर चमत्कार दिखाकर भोले भाले लोगों को आज ठगने का काम चल रहा है।
पूर्व के जन्म और इस जन्म के पाप के कारण हीं लोग इन कपटी बाबाओं के शरण मे पहुंच जाता है जिस दिन अंतः मन शुद्ध हो जायेगा उस दिन आपको सच्चे गुरु मिल जाएंगे। तिलक लगाने, तुलसी की माला पहन कोई साधु नही बन जाता है यह सिर्फ दिखावा है। भगवान को पूजा नही करने पर कष्ट नहीं होता पर उन्हें बाबाओं के भेष में भोले भाले लोगों को ठगने से कष्ट होता है। उन्होंने कथा वाचको पर कहा कि आजकल के कथावाचक श्लोकों के अर्थ का अनर्थ बता लोगों को कथा पीठ से मनोरंजन देने का कार्य कर रहे हैं। कथा आजकल मनोरंजन का रूप ले लिया है। बच्चों के रटा रटा कर व्यास पीठ पर बैठा दिया जाता है। भागवत कथा में कथा पीठ पर महिलाओं को बैठाना वर्जित है। आजकल महिलाओं को भोगी के रूप में देखा जा रहा है जबकि सनातन धर्म में महिलाओं की पूजा की जाती है। सनातन में महिलाओं को हमेशा ऊपर माना जाता है इसलिए हमारे यहाँ महिलाओं को देवी के समान माना जाता है और पूजा की जाती है। लेकिन आजकल महिलाओं को प्रचार प्रसार का रूप दे दिया गया है। छोटे छोटे कपड़े में फोटो लगाकर अपने व्यवसाय को बढ़ाने में लगे हैं। उन्होंने संत के अपमान नहीं करने की बात कहीं कहा कि इससे भगवान काफी दुःखी होते हैं। संत के भेष में कपटी का भी सम्मान करना चाहिए क्योंकि असली नक़ली की पहचान में चूक हुई तो बड़ा पाप होता है। इसके बाद उन्होंने सती मईया के चरित्र का वर्णन किया। आज के कथा का यजमान विवेक कुमार और नलिनी भारद्वाज द्वारा पूजा अर्चना की गई।
वहीं पूज्य महाराज जी के कुल पुरोहित पंडित अशोक द्विवेदी का स्वागत माला एवं अंगवस्त्र से श्री उमानाथ सिंह द्वारा किया गया। कथा में सोनू कुमार, हेमंत कुमार, रवि सिंह, घनश्याम सिंह, पुजारी सुरजीत दास, कृष्णमुरारी सिंह, अनिल सिंह, किंसु, हरिओम, सीताराम सिंह, आशीष कुमार व्यवस्था में लगे रहें। आसपास के सैंकड़ों श्रद्धालुओ द्वारा कथा का रसपान किया गया।सोमनाथ सिंह, शत्रुध्न सिह इत्यादि ।