Bihar news : देवी रूप का प्रतीक होती हैं 9 साल तक की कन्याएं, नवरात्र में इनके पूजन से मिलता है अनुष्ठान का फल:गरिमा

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार
वैशाली।राजापाक र/लगुरांओ -सोमवार को अपने आवासीय मंदिर परिसर में सम्पूर्ण विधि विधान से नवरात्रि के महाअष्टमी के मौके पर कन्या पूजन किया। तब उन्होंने कहा कि 09 साल उम्र तक की कन्याएं देवी मां की शक्ति की स्वरूप होतीं हैं।
उन्होंने बताया कि शास्त्र मत के अनुसार कन्या के जन्म का एक वर्ष बीतने का पश्चात कन्या को कुंवारी की संज्ञा दी गई है। दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन को त्रिमूर्ति, चार को कल्याणी, पांच वर्ष को रोहिणी, छह को कालिका, सात को चंडिका, आठ वर्ष को शांभवी, नौ वर्ष को दुर्गा और दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा माना गया है। नवरात्र में एक कन्या एक तरह की अव्यक्त ऊर्जा का प्रतीक होती है और उसकी पूजा से यह ऊर्जा सक्रिय हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से सभी देवियों का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है। महाअष्टमी या नवमी तिथि के दिन ‘कन्या पूजन’ श्रेष्ठ माना गया है। पूजन से पहले घर को साफसुथरा किया जाता है। क्योंकि आने वाली कन्या स्वयं माता का स्वरूप मानी जाती हैं। कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ एक बालक का पूजन करना उत्तम होता है। कन्या पूजन से कन्याओं और बालक के पैर दूध या फिर पानी से अपने हाथों से साफ करते हैं। क्योंकि इन कन्याओं की स्वयं देवी मां की सेवा मानी जाती है। इसके बाद उनके पैर छूकर उनको साफ स्थान पर बैठाते हैं। कन्याओं को खीर-पूड़ी, हलवा-चना इत्यादि खिलाएं, फिर माथे पर अक्षत, फूल, कुमकुम का तिलक लगाते हैं। इसके बाद उनको दान में रूमाल, लाल चुनरी, फल, खिलौने आदि भेंट स्वरूप दें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
इसके बाद उनको खुशी-खुशी विदा कर आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा कहा गया है कि विधि विधान से कन्या पूजन करने से नवरात्र के व्रत का पूर्ण फल मिलता है और माता रानी प्रसन्न होकर सभी मनोकामना पूरी करती हैं। मौके पर सुमन देवी सिकारिया एवं प्रीति सिकारिया मौजूद रहे।