Bihar News: पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों धूमधाम से वट वृक्ष पूजा

संवाददाता मंटू राय
पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सुहागिनों ने मनाया आज वत सावित्री की पूजा हर साल यह व्रत जेठ मास के अमावस के दिन मनाया जाता है पुराणिक ग्रंथो के अनुसार इस सावित्री ने यमराज को अपने पति के प्राण वापस करने के लिए बेबस कर दिया था इस दिन सुहागिनों के द्वारा वत वूक्ष की पूजन के उपरांत सावित्री सत्यवान की कथा को याद क्या जाता है बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है पुराणिक कथा के अनुसार राजा अश्वपति की एक एक संतान थी जिसका नाम सावित्री था सावित्री ने वनवासी राजा दयुमतसेन के पुत्र सत्यवान अपने पति के रूप में चुना था लेकिन जब नारद जी सावित्री को बताया कि सत्यवान अल्पायु है तो भी सावित्री ने अपना निर्णय नहीं बदला वह समस्त राजवैभव को त्याग करके सत्यवान के साथ उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगी फिर एक दिन सत्यापन जंगल में लकड़ी काटने गए और वहां वह मूर्छित हो कर गिर गए सावित्री ने वत वूक्ष के नीचे अपनी गोद में अपने पति सत्यवान का सिर रखकर बैठ गए उसी समय यमराज सत्यवान का प्राण लेने आये यमराज सत्यवान की जीव को लेकर दक्षिण दिशा की ओर जाते है सावित्री भी यमराज के पीछे पीछे चल देती है मैं उन्हें आते देख यमराज ने कहा पतिव्रता नारी पृथ्वी तक ही पत्नी अपने अपने पति के साथ देती है आप वापस लौट जाओ सावित्री ने कहा है जहां मेरे पति रहेंगे वही मुझे भी रहना है यही मेरा पत्नी धर्म है यमराज के कई बार मना करने पर वह नहीं मानी अंत में सावित्री के साहस और त्याग से यमराज ने प्रसन्न होकर उनसे तीन वरदान मांगने को कहा तब सावित्री ने अपने सास ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी सासु का खोया हुआ राज्य मांगा एवं अपने पति के 100 पुत्र की मां बनने का वर्ग भी मांगा तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने कहा तथास्तु ऐसा ही होगा यमराज आगे बढ़ने लगे सावित्री ने कहा की हे प्रभु में एक पतिव्रता पत्नी हुॅ और आपने मुझे पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया है यह सुनकर यमराज को सत्यवान का प्राण छोड़ना पड़े सावित्री उसी वत वूक्ष के नीचे आ गई जहां उसके पति का मृतक शरीर पढ़ा था सत्यवान जीवित हो गया इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न ना केवल अपने पति को पुन जीवित करवाया बल्कि सास को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए ससुर का उनका खोया हुआ राज्य फिर से दिलवाया सभी से वत सावित्री व्रत पर वत वूक्ष बरगद का पुजन अर्चना करने विधान है कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सौभाग्यवती महिलाओ की मनोकामना पूरी होती है और उनका सौभाग्य अखंड रहता है