अम्बेडकर नगर न्यूज मेरे चाहत की कहानी तुम्हारे लिए मेरे बिछड़ जाने के बाद भी मैं तुम्हारे ख्यालों में आते रहेंगे

संवाददात पंकज कुमार
अम्बेडकर नगर जिले के विकास खण्ड़ जहांगीरगंज क्षेत्र में पंकज कुमार ने बताया कि इस कलयुग के दौर में लोग एक दूसरे के प्यार में खो जाते हैं। और इस कलयुग के प्यार में एक दूसरे को साथ जीने मरने की कसम कहते हैं लोग।मेरे चाहत को भूलना नामुमकिन सा है तुम्हारे लिए मेरे बिछड़ जाने के बाद भी मैं तुम्हारे ख्यालो मे जीवन पर्यन्त चलता रहूंगा ।
तुम अपने हर एक सांस के अहसासो मे मुझे पाओगे मैं हर पल तुमसे मिलने आया करूंगा ।कभी तुम्हारे होंटो की मुस्कुराहट बनकर तो कभी तुम्हारे आँखों के आँशु बनकर । कभी तन्हाई में, कभी भरी महफिल मे मै बेवजह तुम्हारी धड़कनो मे धड़क जाया करूंगा। ना होकर भी तुम्हे मेरे होने का अहसास कराया करेगा ।मैं अक्सर तुमसे मिलने आया करूंगा । कभी याद बनकर तो कभी ख्याल बनकर कभी मैं बनूंगा तुम्हारी सूकून भरी नींद तो कभी तुम्हारी खुली आँखों का सपना । मैं शामिल तुम्हारे जीवन के हर एक खुशी और गमो मे मैं तुम्हे ना पाकर भी तुम्हे पा लूंगा अपने पवित्र प्रेम की माया से गहराइयों में सिर्फ मुझे ही पाओगे।तुम किसी और के होकर भी मेरे ही रह जाओगे अपने अंतर्मन की मैं अपने जीवन के अंतिम सांसो तक तुम्हे अथाह प्रेम करता रहूंगा और मेरे प्रेम का अहसास तुम्हे जीवन पर्यन्त हर पल होता रहेगा। तुम सोचकर मुझे मुस्कुरा दिया करोगे मुझे याद कर अक्सर तुम रो दिया करोगे बात होगी जब भी चाहत की तो तुम्हे मेरी ही चाहत हर बार यादआएगी।मेरे प्रेम का अहसास तुम्हारे जेहन से जीवन पर्यन्त नही निकल पयेगा । मैं हवा बनकर अक्सर तुम्हे छु जाया करेगे मैं तुमसे मिलने अक्सर आया करूंगा।बसंत कब रुकता है किसी के जीवन में पतझड़ का चलन जोर पर है अब तो प्रेम पर कब अधिकार है किसी का नफरत का चलन चहुँ ओर है अब तो/शब्दों से खेलते तो भी मुनासिब था ।
हृदय की तरंगों से खेलना ही खेल है अब तो दिल में मचाकर प्रेम का मनोरम तांडवभावनाओं से खेलना ही प्रेम है अब तो/वक़्त समझा रहा है उम्र का तकाजा
हक़ीक़त को समझना ही शेष है अब तो प्रेम ,प्रीत ,मोह्हबत शब्द हैं किताबों के बदलाव का हर जगह दौर है अब तो।लेख पंकज कुमार