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Agra News: विकास की बाट जोह रहा सुंसार

संवाद जनवाद टाइम्स न्यूज

 

बाह: फाइलों में गांव का विकास निरंतर होने के दावे किए जाते रहे हैं मगर ये दाबे झूठे हैं ये आंकड़ा किताबी है।किसी कवि की यह पंक्तियां सुंसार के विकास के तमाम दावों की पोल खोल देती है। आगरा के यमुना पटटी के गांव सुंसार के हालात बेहद खराब ही।एक हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव में जाने के लिए सड़क तक नहीं हैं। मुश्किल भरा रेतीला रास्ता लोगों की नीयत बन गया है।बरसात के दिनों में यह कच्चा रास्ता भी दलदल में तब्दील हो जाता है जिसके चलते लोगों का निकलना तक दूभर हो जाता है।गावँ में आवागमन के पर्याप्त साधन न होने के चलते लड़का लड़कियों की शादी भी ग्रामीणो के लिए चुनौती बनने लगी है जिससे चलते गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं।

नेताओ और अधिकारियो के द्वारा चुनाव के समय तमाम वायदे किये जाते हैं लेकिन आजादी के बाद आज तक हालात नही बदल सके हैं। इस गांव के ग्रामीण बताते हैं गांव के लोगों को खेतों की पगडंडियों और बीहड़ी रास्ते से आने-जाने की नियति बन गई है।गावँ तक न तो एम्बुलेंस पहुँचती है और न ही अन्य कोई चार पहिया वाहन।ग्रामीणों के मुताबिक किसी के बीमार होने पर दवा दिलवाने के लिए जाते समय गांव से सात किमी पैदल रास्ते से होकर मुख्य मार्ग तक जाना पड़ता है। समय पर अस्पताल न पहुँचने पर कई दफा प्रसूताओं की जान सांसत पड़ जाती है। यह गांव कागजों में विकास के दावों की पोल खोलता नजर आता है।हालांकि वर्तमान विधायक के प्रयासों के चलते यमुना नदी पर पैंटून पुल का निर्माण स्वीकृत किये जाने से ग्रामीणों में विकास की आस जगी है।

सड़क ना होने से टूट जाते है रिश्ते

बाह: गांव लोगों ने बताया कि इस गांव के सड़क मार्ग से नहीं जुड़ने के कारण युवक-युवतियों की शादी में दिक्कत आती है। आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी। गांव के मुकेश और भूरा का रिश्ता टूट गया था। गांव के लोग कहते हैं।कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता । रिश्ते को आये लोग कहते हैं कि जिस गांव में सड़क और अस्पताल न हो वहां अपनी बेटी की शादी कैसे करें।

 

बेटा हो या बेटी, उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है। गांव मे सड़क ना होना उन्हे गांव से पलायन करने पर मजबूर करता है।

बरसात दिनों में टापू बन जाता हैं गांव

बारिश के समय ग्रामीणों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाती है। यमुना उफान पर होने से चारों ओर से यह गांव पानी से घिर जाता है ।

 

लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं।

 

पीने के लिए यमुना के पानी पर निर्भर हैं ग्रामीण

गांव में पीने के पानी के पर्याप्त इंतजाम नही है। कुछ हैण्डपम्प जरूर लगे है लेकिन इनका पानी खारा है।जिसके चलते ग्रामीणों को यमुना से पानी भरकर लाना पड़ता है। पानी भरने के लिए जा रहे विनोद ने बताया कि पानी के लिए बीहड के कच्चे और कीचड भरे रास्ते से होकर जाना पड़ता है।

 

 

लक्ष्मी ने बताया कि गांव में पानी की टंकी हो तो पेयजल समस्या का निदान हो।

नहीं मिला आवास का लाभ न मिली वृद्धावस्था पेंशन

झोंपडी के बाहर चारपाई पर बैठे रघुनाथ और उनके पास जमीन पर बैठी रामकुंवरि ने बताया कि 78 साल की उम्र हो गई लेकिन वृद्धावस्था पेंशन नही मिल रही रहने के लिए आवास नही मिला। परिवार के साथ झोंपडी में रहते है।

 

पशु पालन से भरण पोषण होता है। पेंशन और आवास मिल जाये तो चैन की नींद सो सकें।

खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण

गांव में बने शौचालय कबाड सरीखे हो गये है। कुछ में लोगों ने सामान रख लिया है तो कुछ नहाने धोने में इस्तेमाल करते है। गांव के लोगों ने बताया कि खुले में शौच को जाना मजबूरी है। हालांकि बीहडी रास्ते पर डर रहता है।

 

Agra News: विकास की बाट जोह रहा सुंसार

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