Agra News: वाइल्ड लाइफ एस ओ एस ने सपेरों से मुक्त कराये 24 सांप

संवाद जनवाद टाइम्स न्यूज
आगरा: वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा चलाये गए संयुक्त अभियान में आगरा के पांच अलग-अलग मंदिरों के बाहर सपेरों की अवैध हिरासत से 24 सांपों को मुक्त कराया गया। सभी सांपों को वर्तमान में वाइल्डलाइफ एसओएस के उपचार एवं देखभाल में रखा गया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को वाइल्डलाइफ एसओएस और यूपी वन विभाग की टीम ने आगरा में कैलाश मंदिर बल्केश्वर मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, राजेश्वर मंदिर और रावली मंदिरों के बाहर सपेरों के कब्जे से 24 सांपों को मुक्त कराया जिनमे 16 कोबरा, 4 रैट स्नेक और 4 कॉमन सैंड बोआ को सपेरों से मुक्त कराया गया और बाद में वाइल्डलाइफ एसओएस की रेस्क्यू फैसिलिटी में स्थानांतरित कर दिया गया।

सभी सांप भूखे और निर्जलित स्थिति में पाए गए जिसमे एक गैर-विषैले प्रजाति का सांप रैट स्नेक भी पाया गया जिसका मुंह सिल दिया गया था। वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों ने तुरंत रैट स्नेक के मुंह से टांके हटाये और सभी साँपों को हाइड्रेट किया। फिलहाल वाइल्डलाइफ एसओएस प्रत्येक सांप का इलाज कर उनकी निगरानी कर रहा है और यह तब तक किया जाएगा जब तक कि वे अपने प्राकृतिक आवास में छोड़ने के लिए फिट नहीं हो जाते।

सावन के महीना चल रहा है जिसे हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस महीने के हर सोमवार को सावन का सोमवार के रूप में जाना जाता है जिसका विशेष महत्व है क्योंकि भक्त इस दिन उपवास रखते हैं मनोकामना की याचना करने भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में आते हैं। सांपों के साथ भगवान शिव के संबंध और लोगों की श्रद्धा का मज़ाक उड़ाते हुए और उसका लाभ उठाते हुए सपेरे अक्सर भक्तों को सांपों के प्रदर्शन और आशीर्वाद के वादे के साथ लुभाते हैं। पैसों के लालच में सपेरे भक्तों को सांप को दूध चढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं जबकि दूध वास्तव में सांप के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग पर्यटकों और स्थानीय लोगों से सपेरों से दूर रहने और ऐसे किसी भी मनोरंजन के लिए सांपों के शोषण की सूचना देने का आग्रह करते हैं। ऐसे किसी भी मनोरंजन को बढ़ावा देना संरक्षित वन्यजीव प्रजातियों के अवैध कब्जे को बढ़ावा देता है और यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत एक दंडनीय अपराध है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण के मुताबिक इन सांपों को भयानक परिस्थितियों में रखा जाता है जिसकी वास्तविकता को उजागर करने की जरूरत है। सांप इस हद तक घायल और दयनीय स्थिति में होते हैं कि वे अक्सर अपने प्राकृतिक आवास में वापस नहीं लौट पाते। हमारी टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि इन सांपों को सभी आवश्यक चिकित्सकीय सहायता मिले।

वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक डॉ इलियाराजा के अनुसार मुंह सिला हुआ रैट स्नेक दर्द के कारण आक्रामक व्यवहार का प्रदर्शन कर रहा था। हमने सावधानी से टांके हटा दिए हैं। कोई भी जानवर इस तरह के बर्बर व्यवहार का हकदार नहीं है। डीएफओ आगरा अखिलेश पांडेय ने के मुताबिक सपेरों द्वारा साँपों का उपयोग किया जाना एक अवैध और दंडनीय अपराध है जो वर्षों से चला आ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए वन विभाग हर साल इन सपेरों से सांपों को बचाने के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के साथ मिलकर काम करता है।




