Agra News:कैन्टर सड़क हादसे में गंभीर घायल हुए व्यक्ति की पत्नी ने बच्चों संग लगायी पति के इलाज की गुहार

संवाददाता सुशील चंद्रा
बाह: जनपद इटावा में 10 अप्रैल को लखना वाली माता पर नेजा चढ़ाने जा रही बाह क्षेत्र के श्रद्धालुओं से भरी कैंटर सड़क किनारे गहरी खाई में गिर गयी थी जिसमें 12 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और तकरीबन 40 से अधिक लोग घायल हुए थे।हादसे में मृत हुए लोगों के परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा दो- दो लाख रुपए देने के साथ ही घायलों के बेहतर इलाज के लिए घोषणा की गई थी।साथ ही आगरा और इटावा के जनप्रतिनिधियों ने भी अस्पताल में पहुँच कर घायलों का हाल जाना था और घायलों को हर सम्भव सहायता का आश्वासन दिया था।
लेकिन मुख्यमंत्री जी की घोषणा और जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद भी कुछ घायलों को सही उपचार अभी तक नहीं मिल पाया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार सुरेंद्र सिंह निवासी आम का पुरा फरेरी थाना बाह भी उस कैंटर में सवार थे जो खाई में पलट गई थी उनके भी गंभीर चोटें आई थी जिनमें उनके रीड की हड्डी में भी चोट आई थी। घटना के बाद दो-चार दिन तक उनका इलाज सैफई मेडिकल कॉलेज में किया गया और जब मामला ठंडा हुआ तो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उनका इलाज करना बंद कर दिया और उनसे अपना इलाज अन्यत्र कराने को कह दिया और सैफई पी जी आई से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया।

घायल सुरेंद्र सिंह की पत्नी मंजू देवी ने बताया कि वह डॉक्टरों के सामने पति को स्वस्थ होने तक डिस्चार्ज न करने के लिए रोई,गिड़ गिड़ाई लेकिन सैफ़ई पी जी आई के डॉक्टरों ने उनकी एक न सुनी।मंजू देवी दर-दर की ठोकरें खाते हुए पति को लेकर जिला चिकित्सालय आगरा, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा, व अन्य कई सरकारी अस्पतालों में गयीं लेकिन किसी अस्पताल ने उनका उपचार नहीं किया। इस संबंध में उन्होंने प्रशासन , विधायक , सांसद व अन्य कई राजनेताओं से मदद की गुहार लगाई लेकिन उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली।

थक हारकर अपने पति को घर ले आयीं जहाँ वे मदद मिलने की आस में अपने छोटे छोटे तीन बच्चों के साथ किसी तरह दिन गुजार रही हैं।उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पति का निजी अस्पताल में इलाज करा सकें।परिवार में पति ही अकेले कमाने वाले थे जिनके चारपाई पर घायल पड़े होने से बच्चों की परवरिश के भी लाले पड़ गए हैं।सुरेंद्र सिंह व उनकी पत्नी मंजू देवी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनकी स्थिति को देखते हुए उनके लिए किसी अच्छे अस्पताल में बेहतर उपचार की व्यवस्था कराएं जिससे वह स्वस्थ हो सके।




