Bihar news किसान आन्दोलन की आग से कहीं झुलस न जाय
संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव तथा पश्चिम चंपारण जिला संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक प्रभुराज नारायण राव ने बताया कि 31 जुलाई शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सड़क जाम करने का निर्णय को पूरा बिहार तथा पश्चिम चंपारण में वहां के किसान शानदार रूप से सफल करेंगे ।
उन्होंने कहा कि अब सब किसान जान गए हैं कि पिछले दिनों कृषि विरोधी तीनों काले कानूनों की वापसी जब प्रधानमंत्री द्वारा टेलीविजन पर की जा रही थी । उसी समय प्रधानमंत्री ने किसानों के नाम संदेश में यह साफ-साफ कहा था कि 13 महीने से चल रहे किसान अपने धरना को समाप्त करें और एमएसपी सहित उनके अन्य मांगों को पूरा करने के लिए शीघ्र एक कमेटी का गठन होगा । जिसमें किसान प्रतिनिधि शामिल होंगे और इसका हल निकाल लिया जाएगा ।
लेकिन एक बार फिर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में यह बात सामने आई है कि वे जो बोलते हैं , वह करते नहीं हैं और जो करते हैं वह कहते नहीं हैं । यहीं कारण है कि उनके नाम जुमलेबाज के नाम से प्रसिद्ध है ।
हालांकि किसानों को यह शंका थी कि प्रधानमंत्री एक बार फिर किसानों को कहीं धोखा तो नहीं दे रहे हैं । इसलिए बहुत ही सशंकित होकर अपने आंदोलन को समाप्त करने का घोषणा नहीं कर स्थगित करते हुए अपने घर की ओर चल दिए और बीच-बीच में लगातार संयुक्त किसान मोर्चा के घोषित कार्यक्रम देशभर में लागू होते रहे ।
अभी देश के कृषि मंत्री द्वारा गठित कमिटी में मात्र 3 किसान प्रतिनिधियों को शामिल करना और बाकी सरकार पोषित और भाजपा के किसान संगठन के नेताओं को शामिल करना , यह साफ-साफ बतलाता है कि भाजपा सरकार अपने वादे से मुकर रही है और एमएसपी को कानूनी दर्जा देने , 750 सौ शहीदों को मुआवजा देने , 48000 से ज्यादा मुकदमों को वापस लेने , लखीमपुर खीरी के 4 किसानों के हत्यारे रक्षा राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को
मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर हत्या का मुकदमा चलाने तथा फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम किसानों को देने के सवाल पर किसानों को गुमराह कर रही है ।
इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बैठक कर सर्वसम्मति से सरकार द्वारा गठित कमेटी में शामिल होने से साफ-साफ इंकार कर दिया है और आगे संघर्ष को देशव्यापी बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया है ।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों 13 महीने तक चली ऐतिहासिक किसान आंदोलन जिसे दुनिया भर के देशों और जनतंत्र प्रेमियों ने सराहा था । उस आंदोलन को सलाम किया था और उसे सुविख्यात बताया था । अब वह आंदोलन पुन: आंदोलन की दिशा में आगे बढ़ चुका है । जो एकजुट किसान संघर्ष के बल पर अपने मांगों को हासिल करेगा ।
अभी-अभी हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका का जन विद्रोह ने एक नई दिशा दिया है कि किसी धर्म बहूल मतों से बनी सरकार के कामों से उसी धर्म के लोग जब आक्रोशित हो जाते हैं , तो उसे पुन: चुहिया बना देते हैं । इतना ही नहीं बल्कि एक दूसरी दिशा श्रीलंका के जन विद्रोह ने हमें दिया है और वह यह है की वहां की आक्रोशित जनता ने कम्युनिस्टों को अपना प्रतिनिधि माना है और श्रीलंका के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुणावर्देना को प्रधानमंत्री चुना है । जो धर्म के आधार पर नफरत बोने वाली , हिंदू बहुलता की बात करने वाली , वर्तमान मोदी सरकार के लिए यह चेतावनी है और समस्त जनता के लिए एक नई दिशा है ।