कविता: अमन के दुश्मनों को मेरा संदेश

लेखक – डॉ धर्मेंद्र कुमार
मिटा दो जुल्म दुनिया से यही पैगाम मेरा है l
सिखा दो प्यार दुनिया को यही पैगाम मेरा है ll
यहां नफरत भरी दुनिया तुम्हें जीने नहीं देगी l
चलोगे शांति के पथ पर तुम्हें चलने नहीं देगी l
बांटना धर्म जाति में अगर संदेश तेरा है l
जलाकर राख कर दूंगा यही पैगाम मेरा है l
मिटा दो जुल्म दुनिया से यही पैगाम मेरा है ll
तुम्हारे बाप की जागीर हिंदुस्तान तेरा है l
तुम्हारे बाप का जितना वही अनुपात मेरा है l
अरे कमबख्त! दीन दुनिया लूटने वाले l
मिटा कर तुझको रख देंगे यही पैगाम मेरा है l
मिटा दो जुल्म दुनिया से यही पैगाम मेरा है ll
कुचलना है उन्हीं के फन जो सांपों की तरह छुपकरl
अंधेरा देखकर गहरा जो हम पर वार करते हैं।
पोटली जहर की फोड़ू दांत भी जहर के तोड़ूंl
तेरा हर अंग तोडूंगा यही पैगाम मेरा है l
मिटा दो जुल्म दुनिया से यही पैगाम मेरा हैll