इटावा में विश्व ग्लूकोमा सप्ताह का आयोजन किया गया
संवाददाता रनवीर सिंह : इटावा (सैफई मेडिकल यूनिवरर्सिटी) विश्व में अन्धेपन का एक बहुत बड़ा कारण ग्लूकोमा है। ग्लूकोमा बीमारी की जानकारी न होने के कारण लगभग 50 प्रतिशत लोग अन्धेपन के शिकार हो चुके हैं। यदि समय से ग्लूकोमा का पता लग जाए तो इसका इलाज दवाओं व लेचर चिकित्सा से संभव है। यह बात सैफई मेडिकल यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो. राजकुमार ने नेत्र रोग विभाग द्वारा मनाए जा रहे विश्व ग्लूकोमा सप्ताह में आयोजित जन जागरुकता व्याख्यान में कही।
यूनीवर्सिटी की ओपीडी में आयोजित जनजागरुकता व्याख्यान का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो.राजकुमार ने कहा कि 40 वर्ष से ऊ पर के प्रत्येक व्यस्क को एक बार अपने आंखों की जांच आवश्य करानी चाहिए। साथ ही मधुमेह या ब्लड प्रेशर के मरीज भी नियमित रूप से आंखों की जांच जरुर कराएं। समय से जांच होने से अगर ग्लूकोमा का पता लगता है तो इसका इलाज संभव है। विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग डा. रविरंजन ने बताया कि एक बार ग्लूकोमा का पता लगने के बाद नियमित दवाओं से इसे कन्ट्रोल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ग्लूकोमा की बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। जरूरत है समय से इस बीमारी का पता लगने की। उन्होंने कहा कि ओपीडी में प्रत्येक शुक्रवार को नेत्र रोग विभाग के कमरा नम्बर 403 में ग्लूकोमा क्लिनिक चलाया जा रहा है। ग्लूकोमा एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. रीना शर्मा ने बताया कि ग्लूकोमा में आमतौर पर कोई आरम्भिक लक्षण नहीं होते। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और किसी व्यक्ति की द्रष्टि को बहुत ही धीमी गति से समाप्त कर सकता है। कार्यक्रम में प्रतिकुलपति डा. रमाकांत यादव, चिकित्सा अधीक्षक डा.आदेश कुमार, डा.मीनू बब्बर, डा.बृजेश सिंह, जनसंपर्क अधिकारी अनिल कुमार पांडे मौजूद रहे।