भारतीय संस्कृति से जुड़ा है ताली-थाली और घंटी बजाने का रहस्य, जानिए कैसे रुकेगा कोरोना वायरस
संवाददाता मनोज कुमार राजौरिया : कोरोनावायरस (Coronavirus) धीर-धीरे भारत के लोगों को अपनी गिरफ्त में लेत जा रहा है। ऐसे में इसके प्रकोप से बचने के लिए पीएम मोदी (Pm Modi) ने 22 मार्च यानि आज ‘जनता कर्फ्यू’ (Janta Curfew) लगाया गया है। इस दौरान
उन्होंने लोगों को घरों में रहने और शाम के समय एक-दूसरे का आभार व्यक्त करने की अपील की है। इस दौरान उन्हें ताली, थाली या घंटी बाजकर अभिवादन करने को कहा गया है, लेकिन क्या आपको पता है ये महज शुक्रिया कहने का एक तरीका नहीं है, बल्कि ये वायरस को खत्म करने का भी एक असरदार तरीका साबित हो सकता है।
दरअसल आज शाम ठीक पांच बजे सायरन की आवाज सुनते ही लोग अपने घरों की बालकनी या आंगन में खड़े होकर ताली, थाली या घंटी बजाएंगे। इनसे निकलने वाली ध्वनि से वैज्ञानिक और आध्यात्मिक (Spritual) दोनों फायदे होंगे।
चूंकि सनातन धर्म-संस्कृति में करतल ध्वनि, घंटा ध्वनि, शंख की ध्वनि (Sound) को काफी प्रभावशाली माना जाता है। इसलिए शुभ मौकों पर इसका प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार घंटियों की आवाज कानों में पड़ने से हमारे दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से में एक एकता पैदा करती हैं। जिस क्षण हम घंटा-घंटी बजाते हैं, यह एक तेज और स्थायी ध्वनि उत्पन्न करते हें, जो प्रतिध्वनि मोड में न्यूनतम 7 सेकंड तक रहता है।
इसी तरह थाली या घंटियों की आवाज से हमारी इम्यून पॉवर भी बढ़ सकती हैं। क्योंकि हमारे शरीर के अंदर सात हीलिंक तत्व मौजूद होते हैं, लेकिन कई कारणों से ये ठीक से काम नहीं करते हैं। इन सातों केंद्रों को चक्र के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए घंटी, ताली या थाली की आवाज सुनकर ये चक्र एक्टिवेट हो जाते हैं। जिससे शरीर की प्राण शक्ति बढ़ जाती है। नतीजतन वायरस का असर नहीं होगया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार घंटियां या थाली बजाने से इनसे निकले वाली ध्वनि वातावरण में एक कंपन पैदा करती है। जिससे सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।