बहुजन राजनीति के सूत्रधार समाज सुधारक बहुजन नायक कांशी राम : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडे
महात्मा ज्योतिबा फूले एवं डॉ बी आर अंबेडकर के बाद भारतीय राजनीति में दलितों का सच्चा हितैषी मान्यवर कांशीराम को माना जाता है। उन्होंने भारत के बहुजन समाज के उत्थान हेतु उल्लेखनीय कार्य किया । उनका जन्म 15 मार्च 1934 को नई दिल्ली के रूप नगर इलाके में हुआ था । इनके पिता का नाम श्री हरि सिंह उनके माता का नाम श्रीमती विशन कौर था। काशीराम एक मंजे हुए राजनेता के अलावा एक समाज सुधारक भी थे । इन्होंने एक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम था ‘चमचा एज’ इसमें इन्होंने कांग्रेस में कार्य कर रहे , उन दलित राजनेताओं के बारे में टिप्पणी की है । भारतीय वर्ण व्यवस्था में सदियों से चली आ रही कुरीतियों के दमन हेतु इन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किया। इन्होंने अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए 1984 में बहुजन समाज पार्टी नामक
राजनीतिक दल का गठन किया। कहा जाता है राजनीति के शिखर पुरुष अटल बिहारी बाजपेई ने उन्हें राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव भी दिया था , लेकिन वह इस पर राजी नहीं हुए। उनका मानना था कि भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री जैसे पद पर एक दलित व्यक्ति को बैठना चाहिए। उनके जीवन काल में तो उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी लेकिन भविष्य में इस बात को नकारा नहीं जा सकता। के आर नारायण ,रामनाथ कोविंद जैसे दलित व्यक्ति तो भारतीय राजनीति में राष्ट्रपति जैसे पद को सुशोभित किया। काशीराम ने अपने लिए कुछ नहीं किया , वह जैसे आए थे वैसे चले गए। उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का बीड़ा सुश्री मायावती जी ने उठाया, लेकिन जिस उद्देश्य को ध्यान में रखकर काशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई थी, वह अपने उद्देश्यों से कहीं भटक गई है। कहा जाता है जब सत्ता
की राजनीति में जब स्वार्थी हावी होता है , तो उद्देश्य ताक पर रख दिए जाते हैं । उनके द्वारा स्थापित राजनीतिक दल में कमोबेश यह दिखाई दे रहा है। हमारा मानना है कांशीराम के सपनों को बहुजन समाज पार्टी को साकार करना चाहिए , तभी बहुजन महानायक मान्यवर कांशीराम जी मिशन साकार होगा।