सुनील पांडे : वरिष्ठ पत्रकार
7 साल तक चली लंबी कानूनी प्रक्रिया के के बाद आज 20 मार्च 2020 को मिला निर्भया को इंसाफ। 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी दिल्ली की एक चलती बस पर 6 हैवानो ने मिलकर किया एक ऐसा घिनौना कृत्य जिसको याद करके निर्भया के
माता-पिता सहित आम इंसान शिहर उठता है ।घटना की रात 16 दिसंबर 2012 से लेकर 29 दिसंबर 2012 तक निर्भया जीवन मौत से जंग लड़ती रही और अंत में हार मान ली। अपनी मौत से कुछ समय पहले सभी दरिंदो की दरिंदगी का पीड़िता ने इकबालिया बयान दिया। निर्भया की अस्मत लूटने वाले दरिंदों में जो लोग शामिल थे उनके नाम हैं राम सिंह, मुकेश कुमार ,अक्षय कुमार सिंह ,पवन गुप्ता , विनय शर्मा एवं एक नाबालिक जिसकी घटना के
समय उम्र 17 साल 6 माह थी । इस नाबालिग दरिंदे ने ही निर्भया के साथ सबसे घिनौना कृत्य किया था। बाल न्यायालय ने इस हैवान की हत्या में शामिल होने के चलते अधिकतम 3 साल की सजा सुनाई थी।
वर्तमान समय वह बालिग हो चुका है और अपनी सजा काटकर दिसंबर 2015 में रिहा हो गया है ।कहने के लिए या नाबालिक है पर समाज के लिए यह भी किसी नासूर से कम नहीं है । मेरा मानना है अपराधी अपराधी होता है उम्र के आधार पर उसकी सजा को कम या माफ नहीं किया जाना चाहिए। मेरा न्यायपालिका से विनम्र अनुरोध है न्यायपालिका को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए ।इसके अलावा अन्य पांच आरोपितों में रामसिंह 11 मई 2013 को जेल में खुदकुशी कर ली थी ,अन्य चार आरोपियों में मुकेश कुमार ,अक्षय कुमार ,पवन गुप्ता एवं विनय शर्मा को अपने गुनाहों की असली सजा आज के दिन मिली । चार बालिग आरोपियों को बचाने में आरोपियों के वकील एपी सिंह ने हर संभव कानूनी कोशिश की लेकिन वह अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है 20 मार्च 2020 के पहले हर कानूनी पहलुओं को अपनाते हुए आरोपितों के वकील अब तक तीन बार फांसी की सजा टलवा चुके हैं । ये तिथि थी 7 जनवरी ,17 जनवरी एवं 17 फरवरी 2020, चौथा डेथ वारंट 5 मार्च 2020 को जारी किया गया जिसमें सभी चारों आरोपितों को 20
मार्च 2020 को सुबह 5:30 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। पीड़िता के वकील सीमा कुशवाहा और उनके माता-पिता ने धैर्य नहीं खोया जिसका नतीजा है आज 7 साल बाद निर्भया की आत्मा को शांति मिली होगी।