राहत पैकेज जारी करना केवल कोरोना का एक विकल्प नहीं

विचार प्रवाह : सुनील पांडे वरिष्ठ पत्रकार
केंद्र सरकार द्वारा राहत पैकेज जारी करने से ही इस समस्या का हल संभव नहीं होगा, इसके लिए ग्राउंड लेवल पर इसे अमल में लाना होगा। आज 26 मार्च को जारी 1 लाख 70 हजार करोड़ के राहत पैकेज के ऐलान से गरीबों को राहत अवश्य पहुंचेगी ,लेकिन
इसका फायदा गरीब तबके के लोगों को तभी होगा,जब केंद्र सरकार ,राज्य सरकार एवं प्रशासनिक मशीनरी मिलकर इस योजना को जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाए तभी इस योजना का पूर्णतया लाभ मिल सकता है। इसके लिए सरकार को सख्त एवं कठोर कदम उठाने पड़ेंगे । आम जरूरतमंद को इस योजना से तभी फायदा होगा, जब हम इसके लिए एक सुनिश्चित कार्य योजना तैयार करें। जिसमें उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लगाया जाए । जिसकी मॉनिटरिंग जिला स्तर ,मंडल स्तर, एवं राज्य स्तर पर वरिष्ठ अधिकारी एवं उनकी टीम दिन प्रतिदिन करें। लाभार्थी को तभी फायदा पहुंच सकता है, जब सरकार उनके पास संबंधित योजनाओं को पहुंचाने में हर संभव मदद करे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उपयुक्त पात्र को पैसा छोड़कर अन्य सामग्री नहीं पहुंच पाएगी ,और इसका बंदरबाँट होना भी संभव है। इसीलिए मेरी केंद्र एवंं राज्य सरकारों से विनम्र अपील है की इस कार्य को तन्मयता पूर्वक लागू करे। संकट की इस घड़ी में हम सब लोगों को सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए ,इसमें हमारा और हमारे देश दोनों का भविष्य सुरक्षित रहेगा। हम सब को सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पूर्णतया पालन करना चाहिए। तभी हम करोना जैसे दैत्य को परास्त कर सकते हैं। भारत सरकार को मेडिकल फैसिलिटीज पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यदि हम समय ऐसा नहीं कर पाए तो कोरोना वायरस तीसरे स्तर पर पहुंच गया तो स्थित को सुधारना अत्यन्त मुश्किल होगा। इस आपात स्थिति में सरकार को चाहिए जनपद ,मंडल एवं राज्य स्तर पर एक मेडिकल टीम गठित करें,जिसमें मजिस्ट्रेट चिकित्सक ,पैरामेडिकल स्टाफ, आशा बहू जैसे अन्य कर्मचारी शामिल हों।। ये सभी लोग ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर डोर टू डोर जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच करें और उन्हें जागरूक करें तथा साथ ही साथ जरूरी दवाइयां एवं किट भी मुहैया कराएं। तभी इस महामारी को जीता जा सकता है। लाक डाउन ही केवल एक विकल्प नहीं है इसके साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए केंद्र सरकार
एवं राज्य सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे । यदि कोई राज्य एवं केंद्रीय कर्मचारी अपने कार्यों में कोताही बरतता है तो उसे तत्काल सस्पेंड किया जाए, तभी यह योजना पूरी तरह लागू हो पायेगी।