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Bihar. News. हिंदू मुस्लिम एकता के सच्चे पक्षधर थे छत्रपति शिवाजी महाराज!

संवाददाता मोहन सिंह

बेतिया छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक राज्याभिषेक के 347 वी वर्षगांठ पर दिया विश्व शांति अहिंसा एवं प्राकृतिक आपदाओं से मिलकर साथ लड़ने का संदेश! आज दिनांक 6 जून 20 21 को सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्य अभिषेक की 347 वी वर्षगांठ पर पर छत्रपति शिवाजी महाराज एवं मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों एवं नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 347 वर्ष पूर्व 6 जून 1647 ई0 को रायगढ़ के किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्य अभिषेक हुआ था !उनका सारा जीवन समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पित रहा!
शिवराज्याभिषेक समारोह को मराठा साम्राज्य के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिन माना जाता है. 1674 में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को छत्रपति शिवाजी महाराज का करीब 5 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रायगढ़ किले में राज्याभिषेक किया गया था. जिस सिंहासन पर शिवाजी महाराज को बिठाया गया था उसे 32 मन सोने से मढ़ा गया था. इसी अभिषेक के दौरान उनके सिर पर छत्र धारण कराया गया था, इसी के बाद से वो छत्रपति कहलाए. इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद अमित कुमार लोहिया डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल एवं डॉ0 शाहनवाज अली शोधार्थी इतिहास विभाग बिहार विश्वविद्यालय ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदू मुस्लिम एकता के सच्चे पक्षधर थे! छत्रपति शिवाजी महाराज महाराज के सच्चे मित्र मदारी मेहतर ने आगरा के किले से धर्म जाति से ऊपर उठकर अपने मित्र की सहायता करते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद से आजाद कराया था! छत्रपति शिवाजी महाराज के अंग रक्षकों में कई उनके मुस्लिम मित्र थे छत्रपति शिवाजी महाराज ने कई मंदिरों मस्जिदों गिरजाघरों एवं विभिन्न उपासना स्थलों के लिए जागीरे दी एवं उनका निर्माण कराया छत्रपति शिवाजी महाराज को मुस्लिम धर्मगुरुओं सूफी संतों एवं ईसाई समुदाय के धर्म गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त था ! धर्म जाति से ऊपर उठकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने मानवता के लिए अनेक कल्याणकारी कार्य किए! इस अवसर पर वक्ताओं ने कहां की छत्रपति शिवाजी के आदर्श एवं मूल्यों से समाज में स्थाई रूप से सुख शांति समृद्धि में विकास लाए जा सकता है! प्राकृतिक आपदाओं के समय में छत्रपति शिवाजी महाराज की विचार आज भी प्रासंगिक हैं!
इस अवसर पर पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने कहा कि इसी दिन उन्होंने औपचारिक तौर पर रायगढ़ की गद्दी संभाली थी. छत्रपति शिवाजी को मानवीय परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने फारसी भाषा की जगह मराठी और संस्कृत के प्रयोग पर ज़ोर दिया था. पिता से विरासत में मिली 2 हज़ार सैनिकों की छोटी सी टुकड़ी को छत्रपति शिवाजी ने 1 लाख सैनिकों की विशाल सेना में बदल दिया था. उनकी सेना गुरिल्ला युद्ध करने में निपुण थी. गुरिल्ला युद्ध को शिवाजी के नाम पर शिव सूत्र भी कहा जाता था! फोटो

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