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भला आदमी ( लघुकथा )

भला आदमी ( लघुकथा )

कहानीकार -जयामोहन
प्रयागराज
हनीफ का परिवार हमारे पड़ोस में रहता था हनीफ की मीट की दुकान थी। वह कसाई का काम करता था ।बकरीद का इंतजार करता था। मैं उससे बहुत नफरत करती थी। मां समझाती यह उसका रोजगार है। इससे वह अपना परिवार पाल रहा है वह दिल से भला आदमी है। देखो वह सब की मदद करता है ।अरे अम्मा जिसे जानवरों को मारने में दया ना आती हो वह दिल का क्या अच्छा होगा ।हनीफ भरसक प्रयास करता किसी गरीब की मदद करने का। एक दिन शहर में दंगा भड़क गया ।यह सब अचानक हुआ था। पापा को बुखार आ रहा था। दवा भी खत्म थी। मां परेशान थी।

भला आदमी ( लघुकथा ) घर में सब्जी दूध भी नहीं था। लोग खिड़की भी नहीं खोल रहे थे ।शाम को दवा न मिलने पर पापा की तबीयत काफी खराब हो गई थी। हनीफ को पता लगा तो उसने अपने घर से सब्जी व दूध छत से मां को पकड़ा दिया।भैया कैसे हैं भाभी ।अरे भैया क्या बताऊं दवा खत्म है ।तबीयत बिगड़ती जा रही है ।भाभी पर्चा हमें दे दो ।अरे भैया आप कैसे जाएंगे अभी तो कर्फ्यू लगा है ।भाभी आप पर्चा दो तो सही ।आधे घंटे को कर्फ्यू हटा हनीफ भाग कर दवा लेने गया। एकदम से दंगा होने के कारण सभी परेशान थे। हनीफ को देर हो गई। कर्फ्यू खत्म हो गया ।वह गली से कुछ ही रहा होगा उसे गोली लग गई। हिम्मत कर भाग कर आया खून सने हाथों से हनीफ ने पापा की दवा हमे पकड़ा कर खुद बेहोश होकर गिर गया। हम लोग घबरा गए ।खून बराबर बह रहा था भगवान की कृपा से कर्फ्यू खत्म होने की घोषणा हुई ।भैया कार से हनीफ को अस्पताल ले गए ।उसे खून की आवश्यकता थी ।जो मिल नहीं रहा था मैंने अपना खून चेक कराया तो मिल गया ।आज हनीफ मुझे दया का सागर लग रहा था ।अगर वह समय पर पापा की दवा ना लता तो न जाने क्या हो जाता ।मुझे उसे खून देते हुए अपार तृप्ति हो रही थी। मां सच कहती थी किसी की किसी के रोजगार को देखकर उससे घृणा नहीं करनी चाहिए ।

भला आदमी ( लघुकथा )उसके गुणों का अवलोकन करना चाहिए अब मैं पूरी तरह से हनीफ को मानने लगी थी। प्रभु से उसके जल्दी स्वस्थ होने की कामना कर रही

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