सपनो को।।।। मैं उन्मुक्त आकाश छूना चाहती मेरे अरमानो को उड़ने दो देखा जो सतरंगी सपना मैंने उसको पूरा होने दो मैं अबला नही सबला हूँ मुझे उन्नति शिखर पर चढ़ने दो तुमने छला मुझे हर युग मे पहनाई पराधीनता की बेड़ी पिता ,पति,पुत्र के सदा मैं आधीन रही तुम सबकी में छाया बनी पर […]