विचार प्रवाह : मनोज कुमार राजौरिया
चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है। भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 650 के पार पहुंच गई है।
हालांकि भारत में अभी कोरोना वायरस दूसरी स्टेज में है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत जल्द ही कोरोना की तीसरी स्टेज में प्रवेश कर सकता है।
यही वजह है कि भारत सरकार ने देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू कर दिया है। लॉकडाउन के दूसरे दिन ही मोदी सरकार ने देशवासियों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया।
लेकिन सरकार ने इस पैकेज में जिस तरह से हर योजना को आगामी तीन महीने के लिए तैयार किया है, उसने कई सवालों को जन्म दे दिया है।
दरअसल, केंद्र सरकार की प्लानिंग देख ऐसा लग रहा है, जैसे यह लॉकडाउन 21 दिनों से अधिक होने वाला है।
आपको बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरो नावायरस के प्रकोप के खिलाफ सरकार द्वारा छेड़ी गई जंग से प्रभावित गरीबों और मजदूरों की कठिनाइयों को देखते हुए गुरुवार को 1,70,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज के रूप में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की।
वित्तमंत्री ने कहा कि इस पैकेज के तहत गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को सीधे उनके बैंक खाते में नकद राशि का हस्तांतरण कर उनको खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
वित्त मंत्री ने मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी मजदूरी बढ़ाकर 200 रुपये कर दी गई है।
इसके अलावा किसानों, गरीब विधवा, पेंशनधारी, दिव्यांगों और जनधन खातारधारक महिलाओं, उज्जवला योजना लाभार्थियों, महिला स्वयं सहायता समूहों समेत निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को राहत प्रदान करने की भी घोषणा की गई है।
लेकिन इनमें केवल एक ही चीज कॉमन है, वो यह है कि हर चीज की तैयारी 3 महीने के लिए की गई है।
लेकिन सरकार ने राहत पैकेज में जिस तरह से तीन महीनों की योजनाओं का ऐलान किया है, उससे यह अटकलें लगने लगी हैं कि सरकार आगे की तैयारियों के साथ बढ़ रही है।
आप सभी देशवासियों से निवेदन है कि आप भारत सरकार सभी lockdown के नियमों का ईमानदारी से पालन करें और वैश्विक आपदा में अपने को सुरक्षित रखें l