Bihar news पश्चिम चम्पारण किसान सभा का जिला सम्मेलन बैरिया में होगा
संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
बिहार राज्य किसान सभा की पश्चिम चंपारण जिला किसान काउंसिल की बैठक 3 जून को रिक्शा मजदूर सभा भवन बेतिया में का. रामा यादव की अध्यक्षता में हुआ । बैठक को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि आज किसान आंदोलन पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सामने एक मिसाल बन कर खड़ा है । 13 महीनों तक चला दिल्ली बॉर्डर सहित देशभर के अंदर किसानों का आंदोलन जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान विरोधी तीनों काले कानूनों को वापस लेने के लिए विवश कर दिया । यह एक ऐतिहासिक जीत है ।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एम एस पी के लिए कमेटी गठित कर किसानों की समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया था । वह निराधार निकला ।
आज किसान संकट में है खेती महंगी हो चुकी है । किसान खेती करने से कतरा ने लगे हैं । खाद बीज और कृषि संबंधी औजारों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं । खेती में श्रम भी ज्यादा लग रहा है । पटवन की कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है । इन सारे चीजों के समाधान के लिए स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा के आधार पर फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम देने का जो प्रधानमंत्री ने वादा किया था । उसे लागू किया जाय । किसान आंदोलन के दरमियान 750 से ज्यादा किसान शहीद हो गए । उनको मुआवजा नहीं मिला । 47 हजार से ज्यादा किसानों पर चलाए जा रहे झूठे केसों को वापस करने और एमएसपी को कानूनी दर्जा देकर लाभप्रद बनाने की बात झूठे साबित हुए ।
मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए गेहूं का एमएसपी 2015 रुपए रखा गया । जो बहुत कम रखा गया है । जिसके चलते किसान आक्रोशित हैं ।
सही मायने में आज न्यूनतम समर्थन मूल्य 2650 रुपए से ज्यादा होना चाहिए । जबकि 2015 रुपए गेहूं का एमएसपी निर्धारित किया गया । जबकि उससे ज्यादा दाम में बाजारों में किसानों ने गेहूं को बेच लिया । यही कारण है कि बिहार सरकार ने 10 लाख टन गेहूं खरीदने का जो निर्णय लिया था । पूरे बिहार में मात्र 2000 क्विंटल गेहूं हीं बिहार सरकार खरीद पाई है ।
इसलिए केंद्र सरकार से किसान सभा में मांग किया था कि गेहूं पर ₹500 बोनस के तौर पर प्रति क्विंटल किसानों को दिया जाए । जो सरकार ने नहीं दिया ।
गन्ना का मूल्य आज ₹600 से कम नहीं होना चाहिए। जबकि बिहार सरकार ने गन्ना का उच्चतम मूल्य ₹325 निर्धारित किया है । बिहार के बंद चीनी मिलो को चालू करने से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलता । गन्ने की खेती से किसानों को लाभ मिलता और गन्ने से चीनी निकलने के बाद उसके बायो प्रोडक्ट के रूप में इथनौल , बिजली , खाद , स्प्रिट बनते । बिहार सरकार द्वारा चीनी मिलों को चालू नहीं कर उस स्थान पर इथेनॉल का प्लांट लगाने की योजना बनाई है । जो बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य के लिए आत्मघाती है । क्योंकि सबको पता है के इथनौल गन्ने से बनता है और जहां चीनी मिले है वहां मिलों में इथनॉल बनता है । ऐसे में खाने के अनाज आधारित इथनौल का प्लांट लगाने का मतलब खाने के लिए अनाज का संकट पैदा हो जायेगा । इतना ही नहीं अनाज से इथेनॉल बनाना बिहार की जनता के मुंह से निवाला छीनने जैसा है ।
बिहार राज किसान सभा इसका पुरजोर विरोध करता है और मांग करता है कि बंद पड़े 18 चीनी मिलों को चालू किया जाए । चीनी उद्योग लगने से बेरोजगारों को रोजगार और किसानों को लाभ दिया जाय और खाने वाले अनाज से बनने वाले प्लांट को अविलंब बंद किया जाए ।
बैठक में यह तय हुआ कि किसान सभा की सदस्यता जो इस जिले में है । उसके आधार पर पंचायतों का सम्मेलन किया जाए । अगस्त में अंचल सम्मेलन तथा सितंबर में जिला सम्मेलन किया जाए । क्योंकि आने वाला दिन संघर्ष का दिन है । इसलिए संगठन की मजबूती नितांत आवश्यक है । ताकि संघर्ष में मजबूती प्रदान हो सके ।
बैठक में जिला सचिव चांदसी प्रसाद यादव ने प्रतिवेदन पेश किया । जिस पर का. हरेन्द्र प्रसाद , प्रभुनाथ गुप्ता , शंकर दयाल गुप्ता , मनोज कुशवाहा , शिवनाथ प्रसाद राय , शिवशंकर पाण्डेय , रामेश्वर महतो , पारस बैठा , अफाल साहब , उमेश यादव , सुनील यादव , रामायण साह , मनौवर अंसारी , रामनाथ पासवान , रसीद मियां आदि ने भाग लिया ।